बांके बिहारी कृष्ण मुरारी (Banke Bihari Krishan Murari)

बांके बिहारी कृष्ण मुरारी मेरे बारी कहाँ छुपे,

दर्शन दीजो शरण में लीजो,

हम बलहारी कहाँ छुपे।

॥ बांके बिहारी कृष्ण मुरारी..॥


आँख मचोली हमें ना भये,

जग माया के जाल बिछाये,

रास रचा कर बंसी बजा कर,

धेनु चारा कर प्रीत जगा कर,

नटवर नागर निष्ठुर छलिया,

लीला न्यारी कहाँ छुपे।

॥ बांके बिहारी कृष्ण मुरारी..॥


सर्व व्यापक तुम अविनाशी,

जल थल गगन रवि घट बासी,

योग सुना कर रथ को चला कर,

कहाँ खो गए हमको लुभा कर,

गोविन्द गोविन्द मीरा गायी,

गणिका तारी कहाँ छुपे।

॥ बांके बिहारी कृष्ण मुरारी..॥


बांके बिहारी कृष्ण मुरारी मेरे बारी कहाँ छुपे,

दर्शन दीजो शरण में लीजो,

हम बलहारी कहाँ छुपे।


जय जय राधे श्री राधे, श्री राधे राधे,

जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा।

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कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की रमा नाम एकादशी (Kaartik Maas Kee Krshn Paksh Kee Rama Naam Ekaadashee)

इतनी कथा सुनकर महाराज युधिष्ठिर ने भगवान् से कहा-प्रभो ! अब आप कृपा करके कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के माहात्म्य का वर्णन करिये। पाण्डुनन्दन की ऐसी वाणी सुन भगवान् कृष्ण ने कहा-हे राजन् !

हमारे बालाजी महाराज, सभी के कष्ट मिटाते है (Hamare Balaji Maharaj Sabhi Ke Kast Mitate Hain)

हमारे बालाजी महाराज,
सभी के कष्ट मिटाते है,

बीच भंवर में फसी मेरी नैया (Beech Bhawar Mein Fasi Meri Naiya)

बीच भंवर में फसी मेरी नैया,
तुम्ही हो खिवैया माँ,

मैया मेरी लाज रख ले: भजन (Mata Meri Laaj Rakh Le)

तेरे चरणों में शीश मैं झुकाऊं,
तेरे ही गुण गाऊं,

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