बांके बिहारी मुझे देना सहारा,
कहीं छूट जाए ना दामन तुम्हारा॥
तेरे सिवा दिल में समाए ना कोई,
लगन का यह दीपक भुजाये ना कोई,
तू ही मेरी कस्ती तू ही है किनारा,
कहीं छूट जाए ना दामन तुम्हारा।
॥ बांके बिहारी मुझे देना सहारा...॥
तेरे रास्ते से हटाती है दुनिया,
इशारों से मुझको भूलती है दुनिया,
देखो ना हरगिज मैं दुनिया का इशारा
कहीं छूट जाए ना दामन तुम्हारा।
॥ बांके बिहारी मुझे देना सहारा...॥
तेरे नाम का गान गाता रहूं मैं,
सुबह शाम तुझको रिझाता रहूं मैं,
तेरा नाम मुझको है प्राणों से प्यारा,
कहीं छूट जाए ना दामन तुम्हारा।
॥ बांके बिहारी मुझे देना सहारा...॥
बड़ी भूल की जो मैं दुनिया में आया,
मूल भी खोया और ब्याज भी खोया,
दुनिया में मुझको ना भेजो ना दोबरा
कहीं छूट जाए ना दामन तुम्हारा।
॥ बांके बिहारी मुझे देना सहारा...॥
बांके बिहारी मुझे देना सहारा,
कहीं छूट जाए ना दामन तुम्हारा॥
होलाष्टक की तिथि माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक होती है। यह समय पुराणिक कथाओं के अनुसार महत्वपूर्ण माना जाता है I
फाल्गुन मास का प्रारंभ होते ही हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं। फाल्गुन मास में मनाए जाने वाला रंगों का त्यौहार जिसे हम होली कहते हैं।
होलाष्टक का समय फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से पूर्णिमा (होलिका दहन) तक रहता है। यह अवधि अशुभ मानी जाती है, इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते।
गोवर्धन पूजा का त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाता है। यह पर्व उस ऐतिहासिक अवसर की याद दिलाता है जब भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को प्रकृति के प्रकोप से बचाने के लिए इंद्र के अहंकार को कुचल दिया था।