बंसी बजा के मेरी निंदिया चुराई,
लाडला कन्हैया मेरा कृष्ण कन्हाई,
कुञ्ज गली में ढूंढें तुम्हे राधा प्यारी,
कहाँ गिरधारी मेरे कहाँ गिरधारी ॥
आँख मिचौली काहे खेले तु कान्हा,
पलके बिछाए बैठी तेरी में राधा,
काश में तेरी बन जाती बंसुरिया,
अधरों से तेरे लग जाती में सांवरिया,
नैना निहारे पन्थ आओ मुरारी,
कहाँ गिरधारी मेरे कहाँ गिरधारी ॥
याद जो आये मोहे पल महारास के,
थिरके पायलिया मृदंग ताल पे,
जितनी गोपिया उतने गोविन्दा,
कण कण में हे जेसे भगवंता,
पल ना पड़े अब कान्हा पल पल भारी,
कहाँ गिरधारी मेरे कहा गिरधारी ॥
बंसी बजा के मेरी निंदिया चुराई,
लाडला कन्हैया मेरा कृष्ण कन्हाई,
कुञ्ज गली में ढूंढें तुम्हे राधा प्यारी,
कहाँ गिरधारी मेरे कहाँ गिरधारी ॥
छत्तीसगढ़ भारत का एक ऐसा राज्य है जो प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। पौराणिक महत्व रखने वाला ये राज्य मंदिरों और तीर्थ स्थलों से घिरा हुआ है। यहां के कई मंदिर ना केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी प्रसिद्ध हैं।
छत्तीसगढ़ का कबीरधाम जिला जो पहले कवर्धा जिला कहलाता था। यहां नवरात्रि में एक विशेष धार्मिक परंपरा है। दरअसल दुर्गा अष्टमी की रात को यहां तीन प्रमुख देवी मंदिरों से खप्पर निकाले जाते हैं।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का थनौद गांव बहुत खास है। यहां नवरात्रि के दौरान एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। यहां मां दुर्गा की प्रतिमाओं का श्रृंगार केवल महिलाएं ही करती हैं, जिसमें मूर्तिकारों की पत्नियां, बहनें, बेटियां और बहुएं शामिल होती हैं।
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