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बंसी बजाय गयो श्याम (Bansi Bajaye Gayo Shyam)

बंसी बजाय गयो श्याम (Bansi Bajaye Gayo Shyam)

बंसी बजाय गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के,

दिल मई समाय गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के,

बंसी बजाए गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के।


मथुरा से वृंदावन आयो,

निर्दयी छलिया चैन चुरायो,

निंदिया उड़ाय गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के,

बंसी बजाए गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के ।


जादूकर गई उसकी ये अखियाँ,

रस्ता रोका मोरी पकड़ी बहिया,

मटकी गिराय गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के,

बंसी बजाए गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के ।


लूटा मोर मुकुट की छटा ने,

उनके शोकि इंद्र घटा ने

तीर चलाए गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के,

बंसी बजाए गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के ।


श्याम नाम की ओढ़ी चुनरिया,

श्याम की चूड़ी श्याम की बिंदिया,

रास रचाए गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के,

बंसी बजाए गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के ।


बंसी बजाय गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के,

दिल मई समाय गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के,

बंसी बजाए गयो श्याम,

मोसे नैना मिलाय के ।

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चैती छठ कब मनाई जाएगी

लोक आस्था का महापर्व चैती छठ सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। यह 4 दिनों तक चलता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है।

चैती छठ की पौराणिक कहानी

छठ सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि महापर्व है, जो चार दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होता है। ये पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में।

चैती छठ की पूजा विधि

हिंदू धर्म में आस्था और सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व चैती छठ को माना जाता है। छठ पूजा साल में दो बार कार्तिक और चैत्र माह में मनाई जाती है। कार्तिक छठ की तुलना में चैती छठ को कम लोग मनाते हैं, लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी उतना ही खास है।

संतान प्राप्ति के लिए छठ पर ये उपाय करें

छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास में और दूसरा शारदीय मास में। हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्व है। छठ पूजा को त्योहार के तौर पर नहीं, बल्कि महापर्व के तौर पर मनाया जाता है।

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