बता दो कोई माँ के भवन की राह (Bata Do Koi Maa Ke Bhawan Ki Raah)

बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥


श्लोक – दिखा दो डगर रे,

कोई माँ का दर रे,

मन में है चाव दीदार का,

भूल गया हूँ मैं परदेसी,

मैं राही माँ के द्वार का ॥


बता दो कोई माँ के भवन की राह,

मैं भटका हुआ डगर से,

एहसान करो रे एक मुझपे,

बेटे को माँ से दो मिलाओ,

बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥


भेज बुलावा माँ ने दर पे बुलाया,

नंगे पाँव मैं चल दर्शन को आया,

कठिन चढाई से भी ना घबराया,

भूल हुई क्या ये समझ ना पाया में,

भुला रस्ता ना संग सखा,

ऊपर से ये घनघोर घटा,

मुझको रही है डराय,

बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥


कर किरपा दुखो ने मुझको घेरा,

कुछ सूझे ना छाया हर और अँधेरा,

माना बदियो में लगा रहा मन मेरा,

हूँ लाख बुरा पर माँ ये लख्खा तेरा,

माँ तेरे सिवा नहीं कोई मेरा,

फरियाद करूं मैं हाथ उठा,

कर भी दो माफ गुनाह,

बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥


कुछ सुनना है माँ तुमसे कुछ कहना है,

बिना दरश के पल पल बरसे नैना है,

तेरे नाम के रंग में रंग के चोला पहना है,

सरल सदा ही चरणों में अब रहना है,

जब दर पे लिया ‘लख्खा’ को बुला,

कँवले की तरह मत भटका,

दरसन दिखाओ मेरी माँ,

बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥


बता दो कोई माँ के भवन की राह,

मैं भटका हुआ डगर से,

एहसान करो रे एक मुझपे,

बेटे को माँ से दो मिलाओ,

बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥

........................................................................................................
16 सोमवार व्रत कथा (16 Somavaar Vrat Katha)

एक समय श्री महादेवजी पार्वती के साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में अमरावती नगरी में आए। वहां के राजा ने शिव मंदिर बनवाया था, जो कि अत्यंत भव्य एवं रमणीक तथा मन को शांति पहुंचाने वाला था। भ्रमण करते सम शिव-पार्वती भी वहां ठहर गए।

दुर्गा है मेरी मां, अम्बे है मेरी मां

जयकारा शेरावाली दा
बोल सांचे दरबार की जय।
दुर्गा है मेरी मां, अम्बे है मेरी मां।
(दुर्गा है मेरी मां, अम्बे है मेरी मां।)

बिल्व निमंत्रण 2024: दुर्गा पूजा के पहले देवी मां को आमंत्रित करने के लिए किया जाता है ये अनुष्ठान

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। नौ दिन के इस महापर्व में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।

काल भैरव की कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। इस दिन तंत्र-मंत्र के देवता काल भैरव की पूजा की जाती है, जो भगवान शिव के रौद्र रूप हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।