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बेगा सा पधारो जी, सभा में म्हारे आओ गणराज (Bega Sa Padharo Ji Sabha Mein Mhare Aao Ganraj)

बेगा सा पधारो जी, सभा में म्हारे आओ गणराज (Bega Sa Padharo Ji Sabha Mein Mhare Aao Ganraj)

बेगा सा पधारो जी,

सभा में म्हारे आओ गणराज,

थे बेगा पधारो जी ॥


भक्त खड़े था की बाट निहारे,

भक्त खड़े था की बाट निहारे,

भव सागर से क्यों नहीं तारे,

भव सागर से क्यों नहीं तारे,

भव सागर से क्यों नहीं तारे,

देर ना लगाओ जी,

सभा में म्हारे आओ गणराज,

थे बेगा पधारो जी ॥


विघन विनायक रूप तिहारो,

विघन विनायक रूप तिहारो,

मेरे गणपति कष्ट निवारो,

मेरे गणपति कष्ट निवारो,

मेरे गणपति कष्ट निवारो,

हमको तारो ना,

सभा में म्हारे आओ गणराज,

थे बेगा पधारो जी ॥


‘अवि’ की नैया पार लगाओ,

भक्तों की नैया पार लगाओ,

राग पहाड़ी में विनती गायो,

राग पहाड़ी में विनती गायो,

राग पहाड़ी में विनती गायो,

सुर को सम्भालो ना,

सभा में म्हारे आओ गणराज,

थे बेगा पधारो जी ॥


बेगा सा पधारो जी,

सभा में म्हारे आओ गणराज,

थे बेगा पधारो जी ॥

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भानु सप्तमी पर सूर्यदेव को क्या चढ़ाएं

हिंदू धर्म में भानु सप्तमी का व्रत विशेष रूप से सूर्यदेव को समर्पित है। यह दिन सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने के लिए विशेष माना जाता है।

भानु सप्तमी का व्रत क्यों रखा जाता है

हर माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर यदि रविवार होता है, तो उस दिन भानु सप्तमी मनाई जाती है। मार्गशीर्ष मास में ये विशेष संयोग 08 दिसंबर, रविवार को बन रहा है।

भानु सप्तमी कब है ?

भानु सप्तमी एक महत्वपूर्ण तिथि है जो सूर्य देव की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है।

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