भगवा रंग चढ़ा है ऐसा,
और रंग ना भाएगा,
जय श्री राम के नाम का नारा,
घर घर से अब आएगा,
अयोध्या की नगरी में अब,
केसरिया लहराएगा,
केसरिया केसरिया म्हारो,
केसरिया केसरिया ॥
मात्र भूमि के कण कण पर अब,
राम नाम लिखा जाएगा,
भारत माता हर्ष रही है,
श्री राम घर आएगा,
अयोध्या की नगरी में अब,
केसरिया लहराएगा,
केसरिया केसरिया म्हारो,
केसरिया केसरिया ॥
हनुमत को रंग ऐसा चढ़ा है,
राम नाम गुण गाएगा श्री,
राम की जन्मभूमि पर,
स्वर्ण मंदिर बन जाएगा,
अयोध्या की नगरी में अब,
केसरिया लहराएगा,
केसरिया केसरिया म्हारो,
केसरिया केसरिया ॥
दासमोहन श्री राम की,
माला जपते ही आएगा,
विजय राव ओर सुनीता को,
भगवा रंग चढ़ जाएगा,
अयोध्या की नगरी में अब,
केसरिया लहराएगा,
केसरिया केसरिया म्हारो,
केसरिया केसरिया ॥
भगवा रंग चढ़ा है ऐसा,
और रंग ना भाएगा,
जय श्री राम के नाम का नारा,
घर घर से अब आएगा,
अयोध्या की नगरी में अब,
केसरिया लहराएगा,
केसरिया केसरिया म्हारो,
केसरिया केसरिया ॥
हर 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है। यह हिंदू धर्म के लोगों का सबसे बड़ा समागम है। इसे आध्यात्मिक ऊर्जा और आस्था का पर्व कहा जाता है। महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु विभिन्न तीर्थों में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने के लिए आते हैं ।
महाकुंभ 2025 की शुरुआत प्रयागराज में हो रही है। इसके लिए साधु-संत भी पहुंच गए हैं। इनमें से कई साधु संत श्रद्धालुओें के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। खासकर नागा साधुओं को देखने के लिए बड़ी भीड़ उमड़ रही है। बता दें कि नागा साधु सनातन धर्म के एक विशेष और रहस्यमय संप्रदाय है।
प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पहला शाही स्नान हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में अखाड़ों के साधु संतों ने आस्था की डुबकी लगाई। 13 अखाड़ों ने अपने क्रम के अनुसार स्नान किया।
अध्यात्म का मार्ग आसान नहीं होता। यह एक ऐसा पथ है, जहाँ साधना, तपस्या और त्याग के कठिन इम्तिहान से गुजरना पड़ता है। जब बात साधु-संतों की हो, तो यह मार्ग और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसी कठिन राह पर चलते हुए एक पद ऐसा है, जिसे सर्वोच्च सम्मान और गौरव प्राप्त है...महामंडलेश्वर।