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भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना(Bhagwan Meri Naiya Us Par Gaga Dena)

भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना(Bhagwan Meri Naiya Us Par Gaga Dena)

भगवान मेरी नैया,

उस पार लगा देना,

अब तक तो निभाया है,

आगे भी निभा देना ॥


हम दीन दुखी निर्बल,

नित नाम रहे प्रतिपल,

यह सोच दरश दोगे,

प्रभु आज नही तो कल,

जो बाग़ लगाया है,

फूलों से सजा देना,

भगवान मेरी नईया,

उस पार लगा देना,

अब तक तो निभाया है,

आगे भी निभा देना ॥


तुम शांति सुधाकर हो,

तुम ज्ञान दिवाकर हो,

मम हँस चुगे मोती,

तुम मान सरोवर हो,

दो बूंद सुधारस की,

हमको भी पिला देना,

भगवान मेरी नईया,

उस पार लगा देना,

अब तक तो निभाया है,

आगे भी निभा देना ॥


रोकोगे भला कबतक,

दर्शन को मुझे तुमसे,

चरणों से लिपट जाऊं,

वृक्षों से लता जैसे,

अब द्वार खड़ी तेरे,

मुझे राह दिखा देना,

भगवान मेरी नईया,

उस पार लगा देना,

अब तक तो निभाया है,

आगे भी निभा देना ॥


मजधार पड़ी नैया,

डगमग डोले भव में,

आओ त्रिशला नंदन,

हम ध्यान धरे मन में,

अब ‘तनवर’ करे विनती,

मुझे अपना बना लेना,

भगवान मेरी नईया,

उस पार लगा देना,

अब तक तो निभाया है,

आगे भी निभा देना ॥


भगवान मेरी नैया,

उस पार लगा देना,

अब तक तो निभाया है,

आगे भी निभा देना ॥

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शादी में क्यों लगाई जाती है हल्दी

विवाह को हिन्दू धर्म में पवित्र और अटूट बंधन माना गया है। विवाह के दौरान कई रस्में निभाई जाती हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण रस्म हल्दी की होती है।

कुंभ के बाद कहां चले जाते हैं नागा साधु?

कुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे बड़े समागमों में से एक है। यह एक ऐसी परंपरा है, जिसके केंद्र में नागा साधु रहते हैं। बिना कपड़ों के रहने वाले ये साधु अपनी कठोर तपस्या, धार्मिक जीवनशैली, और रहस्यमयी जीवन के लिए भी जाने जाते हैं।

शाही स्नान की शुरुआत कैसे हुई?

कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण शाही स्नान होता है। जिसमें सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत, विशेष रूप से नागा साधु, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

कुंभ मेले में शाही स्नान का महत्व

12 जनवरी से प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत हो रही है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है, जिसमें पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु पहुंचने वाले हैं।

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