बैठ के तु पिंजरे में,
पंछी काहे को मुसकाय,
हम सब है इस जग में कैदी,
तु ये समझ ना पाय ॥
भजन बिना चैन ना आये राम,
कोई ना जाने कब हो जाये,
इस जीवन की शाम ॥
बोलो राम राम राम ॥
मोह-माया की आस तो पगले,
होगी कभी ना पूरी,
करते-करते भजन प्रभु का,
मिट जायेगी दूरी,
हम दूरी के साथ-साथ लो,
सब ही प्रभु का नाम,
भजन बिना चैन ना आये राम ॥
बोलो राम राम राम ॥
बोलो राम राम राम ॥
भजन है अमृत रस का प्याला,
शाम सवेरे पीना,
इसको पीकर सारा जीवन,
मस्ती में तू जीना
भक्ति कर तो बन जायेंगे,
अपने बिगड़े काम,
भजन बिना चैन ना आये राम ॥
बोलो राम राम राम ॥
बोलो राम राम राम ॥
भजन बिना चैन ना आये राम,
कोई ना जाने कब हो जाये,
इस जीवन की शाम ॥
बोलो राम राम राम ॥
बोलो राम राम राम ॥
कुंभ जैसे विशेष अवसरों पर दिखने वाले नागा साधु कुंभ समाप्त होते ही अचानक कहां गायब हो जाते हैं? यह एक रहस्यमयी प्रश्न है। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान तीनों अमृत स्नान पूरे हो चुके हैं, और अब अखाड़ों का खाली होना शुरू हो गया है।
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थलों - हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। यह आयोजन समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा पर आधारित है।
सनातन हिंदू धर्म में, होली का त्योहार एकता, आनंद और परंपराओं का एक भव्य उत्सव है। इसकी धूम पूरे विश्व में है। दिवाली के बाद हिंदू धर्म में दूसरे सबसे महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में जाना जाने वाला होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इनमें शारदीय और चैत्र नवरात्रि विशेष धूमधाम से मनाई जाती हैं। साल में कुल चार नवरात्रियां पड़ती हैं—दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त। नवरात्रि माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन मास में आती हैं।