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उठ जाग मुसाफिर भोर भई (Bhajan: Uth Jag Musafir Bhor Bhai)

उठ जाग मुसाफिर भोर भई  (Bhajan: Uth Jag Musafir Bhor Bhai)

उठ जाग मुसाफिर भोर भई,

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है,

जो जागत है सोई पावत है ॥


उठ नींद से अखियाँ खोल जरा,

और अपने प्रभु में ध्यान लगा ।

यह प्रीत करन की रीत नहीं,

प्रभु जागत है तू सोवत है ॥


उठ जाग मुसाफिर भोर भई,

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है,

जो जगत है सोई पावत है ॥


जो कल करना सो आज कर ले,

जो आज करे सो अब कर ले ।

जब चिड़िया ने चुग खेत लिया,

फिर पछताए क्या होवत है ॥


उठ जाग मुसाफिर भोर भई,

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है,

जो जगत है सोई पावत है ॥


नादान भुगत अपनी करनी,

ऐ पापी पाप में चैन कहाँ ।

जब पाप की गठड़ी शीश धरी,

अब शीश पकड़ क्यूँ रोवत है ॥


उठ जाग मुसाफिर भोर भई,

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है,

जो जगत है सोई पावत है ॥

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राधे झूलन पधारो झुकी आए बदरा(Radhe Jhulan Padharo Jhuk Aaye Badra)

राधे झूलन पधारो झुकी आए बदरा,
झुक आये बदरा झुकी आये बदरा,

ओढ़ चुनरियाँ मैया लाल चली (Odh Chunariya Maiya Lal Chali)

ओढ़ चुनरियाँ मैया लाल चली,
सिंघ सवारी पे है लगती भली ॥

राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक(Radhe Krishna Ki Jyoti Alokik)

राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक,
तीनों लोक में छाये रही है ।

राधे पूछ रही तुलसा से(Radhe Pooch Rahi Tulsa Se)

राधे पूछ रही तुलसा से,
तुलसा कहाँ तेरा ससुराल ।

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