भक्तो के घर कभी आओ माँ,
आओ माँ आओ माँ आओ माँ,
भक्तो के घर कभी आओ माँ,
परिवार तुम्हारा है,
हमें तेरा ही सहारा है,
आओं माँ आओं माँ आओं माँ,
भक्तो के घर कभी आओ माँ ॥
तेरे चरणों में बिछ जाएंगे,
पलकों पर तुमको बिठाएंगे,
हम तेरे भजन मीठे मीठे,
गा गाकर तुझे सुनाएगे,
आओं माँ आओं माँ आओं माँ,
भक्तो के घर कभी आओ माँ ॥
तू इस जग की महारानी है,
माँ तुझसे प्रीत पुरानी है,
इस दिल में है ढेरों बातें,
माँ आज तुम्हे बतलानी है,
आओं माँ आओं माँ आओं माँ,
भक्तो के घर कभी आओ माँ ॥
ये घर मंदिर बन जाएगा,
माँ एक बार तेरे आने से,
रोशन होगा जीवन मेरा,
माँ तेरी ज्योत जलाने से,
आओं माँ आओं माँ आओं माँ,
भक्तो के घर कभी आओ माँ ॥
कहने को ये घर मेरा है,
पर इस पे हक़ माँ तेरा है,
दो दिन के किरायेदार है हम,
‘सोनू’ यहाँ रेन बसेरा है,
आओं माँ आओं माँ आओं माँ,
भक्तो के घर कभी आओ माँ ॥
आओ माँ आओ माँ आओ माँ,
भक्तो के घर कभी आओं माँ,
परिवार तुम्हारा है,
हमें तेरा ही सहारा है,
आओं माँ आओं माँ आओं माँ,
भक्तो के घर कभी आओ माँ ॥
छोटी दिवाली का पावन त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली के साथ-साथ रूप चौदस, काली चतुर्दशी और नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
दीपावली, जिसे आम बोलचाल में दीवाली भी कहा जाता है। ये त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है।
भारत विविध परंपराओं और संस्कृतियों का अद्भुत संगम है। यहाँ हर त्योहार सिर्फ उत्सव नहीं होता बल्कि लोक जीवन से गहराई से जुड़ी परंपराओं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देने वाला होता है।
इस सृष्टि के समस्त धन और ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री माता लक्ष्मी को पवित्रता और निर्मलता की देवी भी कहा जाता है। जहाँ माता लक्ष्मी का निवास होता है वह स्थान पवित्रता से परिपूर्ण होता है।