भरोसा कर तू ईश्वर पर,
तुझे धोखा नहीं होगा ।
यह जीवन बीत जायेगा,
तुझे रोना नहीं होगा ॥
कभी सुख है कभी दुख है,
यह जीवन धूप-छाया है ।
हँसी में ही बिता डालो,
बिताना ही यह माया है ॥
जो सुख आवे तो हंस लेना,
जो दुःख आवे तो सह लेना ।
न कहना कुछ कभी जग से,
प्रभु से ही तू कह लेना ॥
यह कुछ भी तो नहीं जग में,
तेरे बस कर्म की माया ।
तू खुद ही धूप में बैठा,
लखे निज रूप की छाया ॥
कहां पे था, कहां तू था,
कभी तो सोच ए बन्दे !
झुकाकर शीश को कह दे,
प्रभु वन्दे ! प्रभु वन्दे ॥
भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी पर्वों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं।
दीपावली के पावन पर्व पर हर व्यक्ति यह चाहता है कि वह मां लक्ष्मी का पूजन इस प्रकार करें कि उसे मनवांछित फल की प्राप्ति हो।
विजय का मतलब होता है जीत। अष्ट लक्ष्मी का एक स्वरूप विजय लक्ष्मी, विजया लक्ष्मी या जया लक्ष्मी का भी है जो जीत का ही प्रतीक माना गया है।
सनातन धर्म में धन की देवी मां महालक्ष्मी सभी सुखों को प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। आज के इस आधुनिक दौर में भी हिन्दू धर्म मे माता महालक्ष्मी की पूजा अत्यंत श्रद्धा के साथ की जाती है।