भरोसा कर तू ईश्वर पर,
तुझे धोखा नहीं होगा ।
यह जीवन बीत जायेगा,
तुझे रोना नहीं होगा ॥
कभी सुख है कभी दुख है,
यह जीवन धूप-छाया है ।
हँसी में ही बिता डालो,
बिताना ही यह माया है ॥
जो सुख आवे तो हंस लेना,
जो दुःख आवे तो सह लेना ।
न कहना कुछ कभी जग से,
प्रभु से ही तू कह लेना ॥
यह कुछ भी तो नहीं जग में,
तेरे बस कर्म की माया ।
तू खुद ही धूप में बैठा,
लखे निज रूप की छाया ॥
कहां पे था, कहां तू था,
कभी तो सोच ए बन्दे !
झुकाकर शीश को कह दे,
प्रभु वन्दे ! प्रभु वन्दे ॥
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना ।
खबर मेरी ले लेना,
उज्जैन के महाकाल ॥
प्रभु केवट की नाव चढ़े
कभी कभी भगवान को भी भक्तो से काम पड़े ।
ब्रह्मानंदम परम सुखदम,
केवलम् ज्ञानमूर्तीम्,