भटकूं क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा,
जब तूफानों ने रुलाया,
लिले चढ़कर श्याम आया,
मुस्कुरा कर मुझसे बोला,
मैं तेरा हूँ मैं तेरा,
भटकूँ क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा ॥
श्याम जबसे है मिला,
फुल मधुबन का खिला,
लाख पतझड़ सर खड़ा था,
मैं बहारों में पला,
जब कभी मैं लडखडाया,
साया बनकर श्याम आया,
सर पे रख के हाथ बोला,
मैं तेरा हूँ मैं तेरा,
भटकूँ क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा ॥
जिंदगी वीरान थी,
हर गली सुनसान थी,
श्याम के चलते ही मुझको,
दुनिया अब पहचानती,
दीप खुशियों का जलाया,
चरणों में अपने बैठाया,
ले शरण फिर श्याम बोला,
मैं तेरा हूँ मैं तेरा,
भटकूँ क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा ॥
सांसे मेरी श्याम से,
श्याम ही मेरा जहान,
रिश्ते दुनिया में बहुत है,
श्याम सा रिश्ता कहाँ,
बनके बाबुल श्याम आया,
कंधे से कन्धा मिलाया,
सर झुकाकर मैं बोला,
तू मेरा बस तू मेरा,
भटकूँ क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा ॥
भटकूं क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा,
जब तूफानों ने रुलाया,
लिले चढ़कर श्याम आया,
मुस्कुरा कर मुझसे बोला,
मैं तेरा हूँ मैं तेरा,
भटकूँ क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा ॥
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत, गाय और गौवंश की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को उनका भोग लगाने और अन्नकूट महोत्सव का भी विधान है।
दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का प्रमुख त्योहार गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की प्रतीक स्वरूप पूजा-अर्चना करने का विधान है।
पांच दिवसीय दीपावली त्योहार का समापन भाई दूज के साथ होता है। भाई दूज विक्रम संवत हिंदू कैलेंडर में शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है।
अन्नकूट पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण और गिरिराज यानी गोवर्धन की पूजा के लिए मनाया जाता है। 5 दिवसीय दिवाली त्योहार का धार्मिक रूप से एक महत्वपूर्ण पहलू है।