भोला नही माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को,
भोला नहीं माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को,
डम डम डमरू बाजे प्यारी,
नाच रहे भोले भंडारी,
कैसे लहर लहर लगे लहराने,
मचल गए नचबे को,
भोला नहीं माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को ॥
भांगड़ा डिस्को कछु ना जाने,
तांडव के हो गए दीवाने,
भांगड़ा डिस्को कछु ना जाने,
तांडव के हो गए दीवाने,
मैं कैसे मनाऊँ शिव ना माने,
मचल गए नचबे को,
भोला नहीं माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को ॥
कैसी भंगिया चढ़ी सन्ना के,
स्वामी बैठे है तन्ना के,
कैसी भंगिया चढ़ी सन्ना के,
स्वामी बैठे है तन्ना के,
गौरा शिव को लगी है समझाने,
मचल गए नचबे को,
भोला नहीं माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को ॥
मैं तोह मना मना के हारी,
ना मने शिव त्रिपुरारी,
मैं तोह मना मना के हारी,
ना मने शिव त्रिपुरारी,
कैसे कमर लगे है लचकाने,
मचल गए नचबे को,
भोला नहीं माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को ॥
भोला खाकर भंग का गोला,
कैसे झूम रहा है चोला,
भोला खाकर भंग का गोला,
कैसे झूम रहा है चोला,
नाचे बजा बजा के नई ताने,
मचल गए नचबे को,
भोला नहीं माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को ॥
भोला सदा रहे मन चंगा,
देखो जाता से बह रही गंगा,
भोला सदा रहे मन चंगा,
देखो जाता से बह रही गंगा,
राग शिव की लगी है गुण गाने,
मचल गए नचबे को,
भोला नहीं माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को ॥
भोला नही माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को,
भोला नहीं माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को,
डम डम डमरू बाजे प्यारी,
नाच रहे भोले भंडारी,
कैसे लहर लहर लगे लहराने,
मचल गए नचबे को,
भोला नहीं माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार, भानू सप्तमी हर वर्ष कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है और इसे सूर्य सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन भक्त सूर्य देव की उपासना करते हैं।
हिंदू धर्म में सभी एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। हर महीने में दो एकादशी की तिथियां आती हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं और वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा का संचार होता है।
हिंदू धर्म में एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक है वरुथिनी एकादशी, जो वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।