भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू (Bhole Baba Ne Yuhi Bajaya Damru)

भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥


यहाँ ब्रह्मा चले वहाँ विष्णु चले,

माँ लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया,

भोले बाबा ने यु ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥


यहाँ सूरज चले वहाँ चंदा चले,

वहाँ तारो का मन भी मगन हो गया,

भोले बाबा ने यु ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥


यहाँ राम चले सीता लक्ष्मण चले,

वहाँ हनुमत का मन भी मगन हो गया,

भोले बाबा ने यु ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥


यहाँ कृष्ण चले वहाँ राधा चले,

वहाँ मीरा का मन भी मगन हो गया,

भोले बाबा ने यु ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥


भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥

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पौष पूर्णिमा व्रत कथा

पूर्णिमा यानी शुक्ल पक्ष का 15वां दिन। यह महीने में 1 बार आती है। इस तरह पूरे साल में कुल 12 पूर्णिमा तिथि होती है। इस साल 2025 पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को है। पौष पूर्णिमा पर स्नान व दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

गल मोत्यां को हार, सिर चुनड़ चमकदार (Gal Motiyan Ko Haar Sir Chunad Chamakdar)

गल मोत्यां को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,

दुर्गा कवच पाठ

माता ललिता को दस महाविद्याओं की तीसरी महाविद्या माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवी की आराधना करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

कामदा एकादशी अप्रैल 2025

एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। हर वर्ष 24 एकादशी आती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है।

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