भोले डमरू वाले तेरा,
सच्चा दरबार है,
तेरी जय जयकार भोले,
तेरी जय जयकार है ॥
भक्तों के खातिर,
कलयुग में आए,
महिमा इनकी,
सब देव गाए,
अपने भगत के लिए,
करते चमत्कार है,
तेरी जय जयकार भोले,
तेरी जय जयकार है ॥
आवाज जिसने,
दिल से लगाई,
बिगड़ी हुई को,
पल में बनाई,
दीन और दुखी के लिए,
हरदम तैयार है,
तेरी जय जयकार भोले,
तेरी जय जयकार है ॥
दरबार तेरा,
सबसे निराला,
कलयुग में तेरा,
है बोल बाला,
‘बनवारी’ चरणो में,
करता नमस्कार है,
तेरी जय जयकार भोले,
तेरी जय जयकार है ॥
भोले डमरू वाले तेरा,
सच्चा दरबार है,
तेरी जय जयकार भोले,
तेरी जय जयकार है ॥
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध में गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी भीष्म पितामह ने अपने इच्छामृत्यु के वरदान के कारण तत्काल देह त्याग नहीं किया।
भीष्म अष्टमी सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन विशेष रूप से पितरों को समर्पित होता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके वंश में संतान नहीं होती। यह पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
यूं तो नवरात्रि पूरे साल मे 4 बार आती है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो नवरात्रि माघ और आषाढ़ के समय मनाई जाती है। जिन्हें गुप्त नवरात्रि के रूप मे जाना जाता है।
प्रत्येक महीने की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन देवी दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मत है कि जगत की देवी मां दुर्गा के चरण और शरण में रहने से साधक को सभी प्रकार के सुखों मिलते हैं।