भोले दी बरात - भजन (Bhole Di Baraat)

भोले दी बरात चढ़ी,

गज वज के,

सारीया ने भंग पीती,

रज रज के,

हो सारीया ने सारीया ने,

सारीया ने भगत पियारिया ने,

भोलें दी बरात चढ़ी,

गज वज के,

सारीया ने भंग पीती,

रज रज के ॥


ब्रह्मा विष्णु खुशी मनांदे,

देवी देव जयकारे लौंदे,

बन के बाराती आए,

सज धज के,

सारीया ने भंग पीती,

रज रज के।

भोलें दी बरात चढ़ी,

गज वज के,

सारीया ने भंग पीती,

रज रज के ॥


भोले वखरा रूप बणाया,

गौरा मैया नाल ब्याह रचाया,

वेखनु ने आए सारे,

भज भज के,

सारीया ने भंग पीती,

रज रज के।

भोलें दी बरात चढ़ी,

गज वज के,

सारीया ने भंग पीती,

रज रज के ॥


महिमा शिव दी कहे ‘शिवानी’,

साज भी ना थकदे,

बज बज के,

सारीया ने भंग पीती,

रज रज के।

भोलें दी बरात चढ़ी,

गज वज के,

सारीया ने भंग पीती,

रज रज के ॥


भोले दी बरात चढ़ी,

गज वज के,

सारीया ने भंग पीती,

रज रज के,

हो सारीया ने सारीया ने,

सारीया ने भगत पियारिया ने,

भोलें दी बरात चढ़ी,

गज वज के,

सारीया ने भंग पीती,

रज रज के ॥

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दर्शन दिया, मुझे दर्शंन दिया(Darshan Diya Ho Mujhe Darshan Diya)

भोले शंकर भोले,
तुझे पूजे दुनिया सारी रे,

जिस ओर नजर फेरूं दादी, चहुँ ओर नजारा तेरा है(Jis Aur Nazar Ferun Dadi Chahun Aur Nazara Tera Hai)

जिस ओर नजर फेरूं दादी,
चहुँ ओर नजारा तेरा है,

मुखड़ा देख ले प्राणी, जरा दर्पण में (Mukhda Dekh Le Prani, Jara Darpan Main)

मुखड़ा देख ले प्राणी,
जरा दर्पण में हो,

श्री हरितालिका तीज व्रत कथा (Shri Haritalika Teej Vrat Katha)

श्री परम पावनभूमि कैलाश पर्वत पर विशाल वट वृक्ष के नीचे भगवान् शिव-पार्वती एवं सभी गणों सहित अपने बाघम्बर पर विराजमान थे।

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