भोले दी बरात चढ़ी,
गज वज के,
सारीया ने भंग पीती,
रज रज के,
हो सारीया ने सारीया ने,
सारीया ने भगत पियारिया ने,
भोलें दी बरात चढ़ी,
गज वज के,
सारीया ने भंग पीती,
रज रज के ॥
ब्रह्मा विष्णु खुशी मनांदे,
देवी देव जयकारे लौंदे,
बन के बाराती आए,
सज धज के,
सारीया ने भंग पीती,
रज रज के।
भोलें दी बरात चढ़ी,
गज वज के,
सारीया ने भंग पीती,
रज रज के ॥
भोले वखरा रूप बणाया,
गौरा मैया नाल ब्याह रचाया,
वेखनु ने आए सारे,
भज भज के,
सारीया ने भंग पीती,
रज रज के।
भोलें दी बरात चढ़ी,
गज वज के,
सारीया ने भंग पीती,
रज रज के ॥
महिमा शिव दी कहे ‘शिवानी’,
साज भी ना थकदे,
बज बज के,
सारीया ने भंग पीती,
रज रज के।
भोलें दी बरात चढ़ी,
गज वज के,
सारीया ने भंग पीती,
रज रज के ॥
भोले दी बरात चढ़ी,
गज वज के,
सारीया ने भंग पीती,
रज रज के,
हो सारीया ने सारीया ने,
सारीया ने भगत पियारिया ने,
भोलें दी बरात चढ़ी,
गज वज के,
सारीया ने भंग पीती,
रज रज के ॥
धर्म का पालन करने वाले सनातनियों के घर में पूजा घर अवश्य होता है। पूजा घर में हमारे सभी देवी-देवताओं की तस्वीरें और मूर्तियां होती हैं, जिनकी हम पूजा-अर्चना करते हैं।
मरने के बाद क्या होता है, आत्मा कैसे शरीर छोड़ती है और कैसे दूसरा शरीर धारण करती है। ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब हर कोई जानना चाहता है।
शरद पूर्णिमा के समापन के बाद कार्तिक मास की शुरुआत हो जाती है। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को विशेष महत्व प्राप्त है। इस महीने जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है।
सनातन धर्म में श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु और श्री महेश तीनों को सभी देवी देवताओं में श्रेष्ठ माना गया है। इनसे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।