भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर (Bhole Ke Hatho Mein Hai Bhakto Ki Dor)

भोले के हाथों में,

है भक्तो की डोर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥


मर्जी है इसकी हमको,

जैसे नचाए,

जितनी जरुरत उतना,

जोर लगाए,

ये चाहे जितनी खींचे,

हम काहे मचाए शोर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥


भोले तुम्हारे जब से,

हम हो गए है,

गम जिंदगानी के,

कम हो गए है,

बंधकर तेरी डोरी से,

हम नाचे जैसे मोर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥


खिंच खिंच डोरी जो,

संभाला ना होता,

हमको मुसीबत से,

निकाला ना होता,

ये चाहे जितना खींचे,

हम खींचते इसकी ओर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥


‘बनवारी’ टूटे कैसे,

भक्तो से नाता,

डोर से बंधा है तेरे,

प्रेमी का धागा,

तू रख इसपे भरोसा,

ये डोर नहीं कमजोर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥


भोले के हाथों में,

है भक्तो की डोर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥

........................................................................................................
जीमो जीमो साँवरिया थे (Jeemo Jeemo Sanwariya Thye)

जीमो जीमो साँवरिया थे,
आओ भोग लगाओ जी,

जो शिव भोले की, भक्ति में रम जाएगा (Jo Shiv Bhole Ki Bhakti Mein Ram Jayega)

जो शिव भोले की,
भक्ति में रम जाएगा,

अप्रैल महीने का दूसरा प्रदोष व्रत कब है

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है।

तमिल हनुमान जयंती कब है

तमिल कैलेंडर के मुताबिक, साल 2024 में हनुमान जयंती 30 दिसंबर को मनाई जाएगी। हनुमान जयंती पहले चैत्र माह की पूर्णिमा को फिर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने