भोले के हाथों में,
है भक्तो की डोर,
किसी को खींचे धीरे,
और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में,
है भक्तो की डोर ॥
मर्जी है इसकी हमको,
जैसे नचाए,
जितनी जरुरत उतना,
जोर लगाए,
ये चाहे जितनी खींचे,
हम काहे मचाए शोर,
किसी को खींचे धीरे,
और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में,
है भक्तो की डोर ॥
भोले तुम्हारे जब से,
हम हो गए है,
गम जिंदगानी के,
कम हो गए है,
बंधकर तेरी डोरी से,
हम नाचे जैसे मोर,
किसी को खींचे धीरे,
और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में,
है भक्तो की डोर ॥
खिंच खिंच डोरी जो,
संभाला ना होता,
हमको मुसीबत से,
निकाला ना होता,
ये चाहे जितना खींचे,
हम खींचते इसकी ओर,
किसी को खींचे धीरे,
और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में,
है भक्तो की डोर ॥
‘बनवारी’ टूटे कैसे,
भक्तो से नाता,
डोर से बंधा है तेरे,
प्रेमी का धागा,
तू रख इसपे भरोसा,
ये डोर नहीं कमजोर,
किसी को खींचे धीरे,
और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में,
है भक्तो की डोर ॥
भोले के हाथों में,
है भक्तो की डोर,
किसी को खींचे धीरे,
और किसी को खींचे जोर,
भोले के हाथो में,
है भक्तो की डोर ॥
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है, जो भगवान राम और उनकी भक्त शबरी के बीच के पवित्र बंधन का प्रतीक है।
शबरी जयंती सनातन धर्म में महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। हर साल माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में शबरी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।
सुहागिन महिलाओं और अविवाहित लड़कियों के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जानकी जयंती मनाई जाती है। यह दिन भगवान राम की पत्नी मां सीता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।