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भोले ओ भोले आया दर पे (Bhole O Bhole Aaya Dar Pe)

भोले ओ भोले आया दर पे (Bhole O Bhole Aaya Dar Pe)

भोले ओ भोले आया दर पे,

मेरे सिर पे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


सारे जग का तू विधाता,

कहते है लोग सारे,

देवों में महादेवा,

सब वश में है तुम्हारे

तू तो बाबा अंतर्यामी,

मेरी पीड़ा क्यों नहीं जानी,

भेद है क्या बतला दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


तू कर्ता तू धर्ता,

तू ही संहार करता,

सुनता हूँ मैं दर पे,

सबका ही काम बनता,

ओ कैलाशी ओ अविनाशी,

मेरी अखियाँ फिर क्यों प्यासी,

प्यास तू इनकी बुझा दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


श्रष्टि के कण कण में,

बस तेरा ओमकारा,

सबको तू प्यार करता,

क्या मैं नहीं हूँ प्यारा,

हाथ जोड़कर तुम्हे मनाऊं,

कैसे भोले तुमको पाऊं,

‘श्याम’ को ये बतला दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


भोले ओ भोले आया दर पे,

मेरे सिर पे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥

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दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को क्या भोग लगाएं

हिंदू धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत अत्यंत शुभ माना गया है। यह पर्व हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत के साथ उन्हें विशेष भोग अर्पित करने का विधान है।

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा और महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों में से एक है। यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा और व्रत किए जाते हैं।

मेरो खोय गयो बाजूबंद (Mero Khoy Gayo Bajuband)

उधम ऐसो मच्यो बृज में,
सब केसर उमंग मन सींचे,

मेरो लाला झूले पालना, नित होले झोटा दीजो (Mero Lala Jhule Palna Nit Hole Jhota Dijo)

मेरो लाला झूले पालना, नित होले झोटा दीजो
नित होले झोटा दीजो, नित होले झोटा दीजो

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