भोले ओ भोले आया दर पे (Bhole O Bhole Aaya Dar Pe)

भोले ओ भोले आया दर पे,

मेरे सिर पे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


सारे जग का तू विधाता,

कहते है लोग सारे,

देवों में महादेवा,

सब वश में है तुम्हारे

तू तो बाबा अंतर्यामी,

मेरी पीड़ा क्यों नहीं जानी,

भेद है क्या बतला दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


तू कर्ता तू धर्ता,

तू ही संहार करता,

सुनता हूँ मैं दर पे,

सबका ही काम बनता,

ओ कैलाशी ओ अविनाशी,

मेरी अखियाँ फिर क्यों प्यासी,

प्यास तू इनकी बुझा दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


श्रष्टि के कण कण में,

बस तेरा ओमकारा,

सबको तू प्यार करता,

क्या मैं नहीं हूँ प्यारा,

हाथ जोड़कर तुम्हे मनाऊं,

कैसे भोले तुमको पाऊं,

‘श्याम’ को ये बतला दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


भोले ओ भोले आया दर पे,

मेरे सिर पे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥

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आरती श्री वृषभानुलली जी की (Aarti Shri Vrishabhanulli Ji Ki)

आरति श्रीवृषभानुलली की, सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
भयभन्जिनि भवसागर-तारिणी, पाप-ताप-कलि-कलुष-निवारिणी,

कितना सोणा है दरबार, भवानी तेरा (Kitna Sona Hai Darbar Bhawani Tera)

कितना सोणा है दरबार,
भवानी तेरा ये सिणगार,

आदियोगी दूर उस आकाश की गहराइयों में (Adiyogi door us aakash ke gaharaiyon mein)

दूर उस आकाश की गहराइयों में,
एक नदी से बह रहे हैं आदियोगी,

कब दर्शन देंगे राम परम हितकारी (Kab Darshan Denge Ram Param Hitkari)

भीलनी परम तपश्विनी,
शबरी जाको नाम ।

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