भोले ओ भोले आया दर पे,
मेरे सिर पे,
जरा हाथ तू फिरा दे,
मेरे भाग्य को जगा दे ॥
सारे जग का तू विधाता,
कहते है लोग सारे,
देवों में महादेवा,
सब वश में है तुम्हारे
तू तो बाबा अंतर्यामी,
मेरी पीड़ा क्यों नहीं जानी,
भेद है क्या बतला दे,
जरा हाथ तू फिरा दे,
मेरे भाग्य को जगा दे ॥
तू कर्ता तू धर्ता,
तू ही संहार करता,
सुनता हूँ मैं दर पे,
सबका ही काम बनता,
ओ कैलाशी ओ अविनाशी,
मेरी अखियाँ फिर क्यों प्यासी,
प्यास तू इनकी बुझा दे,
जरा हाथ तू फिरा दे,
मेरे भाग्य को जगा दे ॥
श्रष्टि के कण कण में,
बस तेरा ओमकारा,
सबको तू प्यार करता,
क्या मैं नहीं हूँ प्यारा,
हाथ जोड़कर तुम्हे मनाऊं,
कैसे भोले तुमको पाऊं,
‘श्याम’ को ये बतला दे,
जरा हाथ तू फिरा दे,
मेरे भाग्य को जगा दे ॥
भोले ओ भोले आया दर पे,
मेरे सिर पे,
जरा हाथ तू फिरा दे,
मेरे भाग्य को जगा दे ॥
जनवरी 2025 से कुंभ मेले की शुरुआत संगम नगरी प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान वहां ऐसे शानदार नजारे देखने को मिलेंगे, जो आम लोग अपनी जिंदगी में बहुत कम ही देखते हैं। अब जब कुंभ की बात हो रही है, तो नागा साधुओं की बात जरूर होगी ही। यह मेले का मुख्य आकर्षण होते है, जो सिर्फ कुंभ मेले के दौरान ही दिखाई देते है।
हिंदुओं के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम महाकुंभ की शुरुआत में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। पहला शाही 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर होने वाला है। इसमें सबसे पहले नागा साधु स्नान करेंगे।
नागा साधु को महाकुंभ का आकर्षण माना जाता है, जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इनका शाही स्नान में महत्व बहुत अधिक है। क्योंकि इन्हें आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन को मन, शरीर और आत्मा के संतुलन बनाने के लिए उचित माना जाता है।