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बंजारन मैं बंजारन,
भोले तेरी बंजारन,
बैजनाथ मैं गई,
विश्वनाथ भी गई,
दर्शन करके धन्य हुई,
अब दीवानी हो गई,
रे जोगिया,
बंजारन मैं बंजारन,
भोले तेरी बंजारन ॥
अविनाशी हे कैलाशी,
रामेश्वर हो या काशी,
द्वादश ज्योतिर्लिंग घूमी,
फिर भी ये अखियाँ प्यासी,
काश्मीर, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई,
नगर-नगर और गाँव-गाँव में,
तेरे रूप कई रे जोगिया,
बंजारन मैं बंजारन,
भोलें तेरी बंजारन ॥
श्रद्धा से कावड़ लेकर,
लाखों कावड़िये आते,
तेरी जयनाद बोलते,
गंगाजल तुम्हे चढ़ाते,
देख बाबरी भई,
जनवरी हो या मई,
भक्तो का अम्बार लगा तेरे,
नाचू ता था थई रे जोगिया,
बंजारन मैं बंजारन,
भोलें तेरी बंजारन ॥
चरणों में अपने बाबा,
मुझको भी दे दो छैया,
त्रिपुरारी दृष्टि कर दो,
चल जाए मेरी नैया,
उमा लहरी है नई,
और कॉम्पिटिशन कई,
आशीर्वाद अगर मिल जाए,
गाऊं गीत कई, रे जोगिया,
बंजारन मैं बंजारन,
भोलें तेरी बंजारन ॥
बंजारन मैं बंजारन,
भोले तेरी बंजारन,
बैजनाथ मैं गई,
विश्वनाथ भी गई,
दर्शन करके धन्य हुई,
अब दीवानी हो गई,
रे जोगिया,
बंजारन मैं बंजारन,
भोले तेरी बंजारन ॥
........................................................................................................आ दरश दिखा दे मेरी माँ,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
एक नगरमें एक बुढ़ियाके सात पुत्र थे, सातौके विवाह होगए, सुन्दर स्त्री घर में सम्पन्न थीं। बड़े बः पुत्र धंधा करते थे बोटा निठल्ला कुछ नहीं करता था और इस ध्यान में मग्न रहता था कि में बिना किए का खाता हूं।
हरछठ या हलछठ पर्व के दिन व्रत रखने से संतान-सुख की प्राप्ति होती है। अब आपके दिमाग में हरछठ व्रत को लेकर कई सवाल आ रहे होंगे। तो आइए आज भक्त वत्सल के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि हरछठ पर्व क्या है और इसमें व्रत रखने से हमें क्यों संतान प्राप्ति होती है?
विवाह पंचमी का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन माता सीता और प्रभु श्री राम का विवाह हुआ था। विवाह पंचमी का पर्व सभी तिथियों में शुभ माना गया है। इस तिथि आदर्श दांपत्य जीवन का उदाहरण हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति के विवाह में कोई परेशानी आ रही है, तो इस दिन विधिवत रूप से राम जी और जानकी माता की पूजा की जाती है।
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