फूलों से सजाया है,
दरबार मेरी मैया,
बिगड़ी बनाने आजा,
एक बार मेरी मैया ॥
माँ के दरबार में जो,
भक्त सर झुकाते हैं,
वो रोते रोते आते,
हंसते हुए जाते है,
तेरे चरण से जिंदगी,
उजियार मेरी मैया,
बिगडी बनाने आजा,
एक बार मेरी मैया ॥
माँ के दरबार में जो,
सच्चे मन से आते हैं,
मां के दरबार में जो,
हाजिरी लगाते है,
कर दे करम तू मुझ पर,
एक बार मेरी मैया,
बिगडी बनाने आजा,
एक बार मेरी मैया ॥
फूलों से सजाया है,
दरबार मेरी मैया,
बिगड़ी बनाने आजा,
एक बार मेरी मैया ॥
कलयुग में फिर से आजा,
डमरू बजाने वाले,
कलयुग में शिवयुग आया है,
महादेव ये तेरा रचाया है,
कलियुग में सिद्ध हो देव तुम्हीं,
हनुमान तुम्हारा क्या कहना ।
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,