बिगड़ी बनाने आजा, एक बार मेरी मैया (Bigdi Banane Aaja Ek Baar Meri Maiya)

फूलों से सजाया है,

दरबार मेरी मैया,

बिगड़ी बनाने आजा,

एक बार मेरी मैया ॥


माँ के दरबार में जो,

भक्त सर झुकाते हैं,

वो रोते रोते आते,

हंसते हुए जाते है,

तेरे चरण से जिंदगी,

उजियार मेरी मैया,

बिगडी बनाने आजा,

एक बार मेरी मैया ॥


माँ के दरबार में जो,

सच्चे मन से आते हैं,

मां के दरबार में जो,

हाजिरी लगाते है,

कर दे करम तू मुझ पर,

एक बार मेरी मैया,

बिगडी बनाने आजा,

एक बार मेरी मैया ॥


फूलों से सजाया है,

दरबार मेरी मैया,

बिगड़ी बनाने आजा,

एक बार मेरी मैया ॥

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वाल्मीकि जयंती अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

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गौरी सूत गणराज पधारो,
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हे भोले बाबा हे भंडारी,
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आये जी आये नवराते आये,
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