Logo

बोल पिंजरे का तोता राम (Bol Pinjare Ka Tota Ram)

बोल पिंजरे का तोता राम  (Bol Pinjare Ka Tota Ram)

बोल पिंजरे का तोता राम,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

बोल पिंजरे का तोता राम,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे ॥


प्रभु की भक्ति सुबह के जैसी,

माया है एक ढलती शाम,

दुविधा में ना दोऊ जाए,

माया मिले ना तुझको राम,

तू चुन ले भक्ति अभिराम,

तू चुन ले भक्ति अभिराम रे,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

बोल पींजरे का तोता राम,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे ॥


चंचल मन को केंद्रित कर दे,

श्री हरी जी के चरणों में,

भोग विलास में समय गँवा मत,

कुछ भी नहीं है सपनो में,

छोड़ आलस सकल विश्राम,

छोड़ आलस सकल विश्राम रे,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

बोल पींजरे का तोता राम,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे ॥


भजन के रस का अमृत पीकर,

भक्ति की शक्ति तू ले ले,

अपने मानुष तन जीवन को,

प्राणी यहाँ सफल कर ले,

करले आवागम को प्रणाम,

करले आवागम को प्रणाम रे,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

बोल पींजरे का तोता राम,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे ॥


इस दुनिया ने बन्दे तेरा,

कहीं नहीं ठिकाना है,

एक दिन पिंजरा छोड़ के पंछी,

दूर बहुत उड़ जाना है,

उड़के के जाना है प्रभु के धाम,

उड़के के जाना है प्रभु के धाम रे,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

बोल पींजरे का तोता राम,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे ॥


बोल पिंजरे का तोता राम,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे,

बोल पिंजरे का तोता राम,

हरे राम राधेश्याम सियाराम रे ॥

........................................................................................................
संन्यास और वैराग्य में क्या अंतर है

संन्यास और वैराग्य, दोनों ही आध्यात्मिक साधना के प्रमुख मार्ग हैं। परंतु, जब भी लोग किसी संन्यासी को देखते हैं तो अक्सर उन्हें वैरागी समझ लिया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दोनों ही उच्च आध्यात्मिक साधना और ईश्वर की भक्ति से जुड़े होते हैं।

नागा साधुओं के अंतिम संस्कार कैसे होता है

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में अखाड़े और साधु-संत आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इनमें से सबसे अलग और अद्भुत दिखने वाले नागा साधु हैं। भस्म लगाए और अपने विशिष्ट स्वरूप में नागा साधु हर किसी का ध्यान खींचते हैं।

अन्नप्राशन संस्कार शुभ मुहूर्त फरवरी 2025

हिंदू धर्म की समृद्ध परंपरा में "सोलह संस्कार" का महत्वपूर्ण स्थान है, जो जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव को दिशा देते हैं। इन संस्कारों में से एक है अन्नप्राशन, जब बच्चा पहली बार ठोस आहार का स्वाद लेता है।

कर्णवेध संस्कार शुभ मुहूर्त फरवरी 2025

हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है और उनमें नौवां संस्कार है कर्णवेध। यह संस्कार बच्चे के कान छिदवाने का समय होता है जो सामान्यतः 1 से 5 वर्ष की उम्र में किया जाता है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang