ब्रह्मानंदम परम सुखदम(Brahamanandam, Paramsukhdam)

ब्रह्मानंदम परम सुखदम,

केवलम् ज्ञानमूर्तीम्,

द्वंद्वातीतम् गगन सदृशं,

तत्वमस्यादि लक्षम ।


एकं नित्यं विमल मचलं,

सर्वाधी साक्षीभुतम,

भावातीतं त्रिगुण रहितम्,

सदगुरु तं नमामी ॥


धूम मची हर नभ में फूटे,

रस की फुहारे ।

अनहद के आँगन में नाचे,

चँदा सितारे ॥


अबीर गुलाल के बादल गरजे,

फागुन सेज सजाए ।

दूर अधर बिजली यूँ कौंधे,

रंग दियो छिड़काए ॥


रास रंग मदिरा से बरसे,

प्रेम अगन सुलगाए ।

चहक उठे सब डाल पात सब,

एक ही रंग समाए ॥

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महाकाल की लगन: शिव (Mahakal Ki Lagan)

मोहे लागी रे लगन महाकाल की लगन,
तुम्हारे नाम से किस्मत मेरी सजा लू मैं,

जय महाकाली शेरावाली, सारे जग की तू रखवाली (Jai Mahakali Sherawali Saare Jag Ki Tu Rakhwali)

जय महाकाली शेरावाली,
सारे जग की तू रखवाली,

लौट के आजा नंद के दुलारे(Laut Ke Aaja Nand Ke Dulare)

लौट के आजा नंद के दुलारे,
उम्मीद लगाए,

जिसको राम नाम रटना पसन्द है (Jisko Ram Naam Ratna Pasand Hai)

जिसको राम नाम रटना पसन्द है,
उसको हर घड़ी आनंद ही आनंद है ॥

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