भोला तन पे भस्म लगाये,
मन में गौरा को बसाये,
चले है भोला,
सज धज के,
संखिया मंगल गाती हैं,
भूत प्रेत बाराती हैं ॥
भूत और प्रेत सब,
झूम झूम जाते हैं,
लूले और लँगड़े भी,
डिस्को दिखाते हैं,
भोला मन ही मन मुस्काये,
रूप अजब गजब हैं बनाये,
चले हैं भोला,
सज धज के ॥
पहुँची बारात,
सब मंगल गाते हैं,
देख देख शिव को,
सभी डर जाते हैं,
माता मैना रही घबराये,
शिव ऐसा रूप बनाये,
चले हैं भोला,
सज धज के ॥
मन में ये सोचें शिव,
सब डर जाते हैं,
विवाह कैसे होगा,
कोई पास न आते हैं,
तब सुंदर रूप बनाये,
चन्द्रशेखर नाम कहाये,
चले हैं भोला,
सज धज के ॥
गौरा के संग में,
ब्याह रचाते हैं,
लेके भवानी को,
कैलाश जाते हैं,
‘सूरज सोनी’ हरसाये,
ध्यान शिवजी के चरणों मे लगाए,
चले हैं भोला,
सज धज के ॥
भोला तन पे भस्म लगाये,
मन में गौरा को बसाये,
चले है भोला,
सज धज के,
संखिया मंगल गाती हैं,
भूत प्रेत बाराती हैं ॥
जय पितरजी महाराज, जय जय पितरजी महाराज।
शरण पड़यो हूँ थारी, राखो हमरी लाज॥
जय भगवद् गीते, माता जय भगवद् गीते।
हरि हिय कमल विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते॥
अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्तीभृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।
अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीलामाङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः॥1॥
देवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम्।
कृपया पार्वती प्राह शंकरं करुणाकरम्॥