लाल लंगोटा हाथ में सोटा,
चले पवन की चाल,
मेरा बजरंगबली ॥
माँ अंजनी का प्यारा है,
राम भगत मतवाला है,
राम भजन में मस्त रहे,
भक्तो का रखवाला है
भूत प्रेत को मार भगावे,
दुष्टो का है काल,
मेरा बजरंगबली ॥
जब जब राम ने हुकुम दिया,
पल में पूरा काम किया,
राम सहारा लेकर के,
पूरा पर्वत उठा दिया,
राम सुमीर कर गढ़ लंका में,
धरा रूप विकराल,
मेरा बजरंगबली ॥
राम तेरे मन वचन में है,
राम तेरे दर्शन में है,
रोम रोम में राम तेरे,
राम तेरे सुमिरन में है,
दर्श करा दे श्रीराम का,
हे अंजनी के लाल,
मेरा बजरंगबली ॥
मंगल और शनिवार के दिन,
तेरी पूजा भारी है,
सालासर मेहंदीपुर में,
तेरी महिमा न्यारी है,
ये ‘लख्खा’ अब तुझे मनाए,
काट मेरे जंजाल,
मेरा बजरंगबली ॥
लाल लंगोटा हाथ में सोटा,
चले पवन की चाल,
मेरा बजरंगबली ॥
नागा साधु अपने पूरे शरीर पर भभूत लगाते हैं। ये हमेशा नग्न अवस्था में ही नजर आते हैं। चाहे कोई भी मौसम हो, उनके शरीर पर वस्त्र नहीं होते। वे शरीर पर भस्म लपेटकर घूमते हैं। नागाओं में भी दिगंबर साधु ही शरीर पर भभूत लगाते हैं। यह भभूत ही उनका वस्त्र और श्रृंगार होता है। यह भभूत उन्हें बहुत सारी आपदाओं से बचाता भी है।
नागा साधु भारत की प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे केवल सनातन धर्म के संरक्षक भी माने जाते हैं। इनका जीवन कठोर तपस्चर्या, शैव परंपराओं और भगवान शिव की भक्ति में बीतता है। नागा साधु धार्मिक अनुष्ठानों के विशेषज्ञ होते हैं। साथ ही हिंदू धर्म की रक्षा में भी ऐतिहासिक योगदान भी देते हैं।
महाकुंभ को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान कहा गया है। अखाड़े इस धार्मिक अनुष्ठान की रौनक है, जो इसकी शोभा बढ़ाते हैं। इनका नगर प्रवेश हमेशा से एक चर्चा का विषय होता है।
पूजा-पाठ से लेकर विशेष अनुष्ठान एवं हवन इत्यादि सभी तरह की पूजा में आचमन आवश्यक है। आचमन का शाब्दिक अर्थ है ‘मंत्रोच्चारण के साथ जल को ग्रहण करते हुए शरीर, मन और हृदय को शुद्ध करना।’ शास्त्रों में आचमन की विभिन्न विधियों के बारे में बताया गया है। आचमन किए बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है।