चलो दर्शन को मेहंदीपुर चलिए,
जहाँ बालाजी का दरबार है,
तेरे संकट सभी कट जाएंगे,
वो ही संकट के काटन हार है,
चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए ॥
तुम यहाँ आओ अर्जी लगाओ,
ध्याम लगाओ बाबा का,
ज्योति जगाओ शीश झुकाओ,
कीर्तन गाओ बाबा का,
जिसे बाबा पे होता विश्वास है,
पूरण होती उसी की यहाँ आस है,
अंधेर नहीं कुछ देर है,
सारा झुकता यहाँ संसार है,
चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए ॥
प्रेत राज का राज यहाँ पर,
आज फसे कोई काल फसे,
भेरों का दरबार यहाँ पर,
बच ना सके कोई छुप ना सके,
भूत प्रेतों का बालाजी काल है,
ये काटे सभी के जंजाल है,
तू भी आके यहाँ सर टेक ले,
ये तो करते सभी पर उपकार है,
चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए ॥
मंगल और शनि को यहाँ पे,
लगता मेला भारी है,
दूर दूर से कष्ट मिटाने,
आते यहाँ नर नारी है,
तीनो लोको में पावन धाम है,
होती आरती सुबह और शाम है,
तू जयकारा लगाले इस नाम का,
तेरे संग में ‘धामा’ और ‘रामावतार’ है,
चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए ॥
चलो दर्शन को मेहंदीपुर चलिए,
जहाँ बालाजी का दरबार है,
तेरे संकट सभी कट जाएंगे,
वो ही संकट के काटन हार है,
चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए ॥
हिंदू धर्म में गाय को अत्यंत पूजनीय और पवित्र माना गया है। इसे केवल एक पशु नहीं, बल्कि मां का दर्जा दिया गया है। भारतीय समाज में गाय का स्थान इतना महत्वपूर्ण है कि इसकी पूजा की जाती है और इसे देवी का स्वरूप माना जाता है।
कुंभ का मेला आध्यात्मिकता और धार्मिक परंपराओं का जीवंत स्वरूप है। कुंभ के अवसर पर शाही स्नान का आयोजन होता है, जिसमें देशभर के साधु-संत विभिन्न अखाड़ों के माध्यम से शामिल होते हैं।
हिंदू धर्म में वाराणसी को धर्म की नगरी कहा जाता है। जो सबसे पवित्र स्थानों में एक माना जाता है। वाराणसी का पुराना नाम काशी है। काशी को प्रकाश का स्थान भी कहा जाता है। यहां भगवान शिव का मंदिर है।
प्रयागराज में 13 जनवरी से कुंभ मेले की शुरुआत होने जा रही है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा समागम है, जिसमें लाखों हिंदू श्रद्धा की डुबकी लगाते हैं।