चलो मन वृन्दावन की ओर (Chalo Mann Vrindavan Ki Aur)

चलो मन वृन्दावन की ओर,

प्रेम का रस जहाँ छलके है,

कृष्णा नाम से भोर,

चलो मन वृंदावन की ओर ॥


भक्ति की रीत जहाँ पल पल है,

प्रेम प्रीत की डोर,

राधे राधे जपते जपते,

दिख जाए चितचोर,

चलो मन वृंदावन की ओर ॥


उषा की लाली के संग जहाँ,

कृष्णा कथा रस बरसे,

राधा रास बिहारी के मंदिर,

जाते ही मनवा हरषे,

ब्रिज की माटी चंदन जैसी,

मान हो जावे विभोर,

चलो मन वृंदावन की ओर ॥


वन उपवन में कृष्णा की छाया,

शीतल मन हो जाए,

मन भी हो जाए अति पावन,

कृष्णा कृपा जो पाए,

नारायण अब शरण तुम्हारे,

कृपा करो इस ओर,

चलो मन वृंदावन की ओर ॥

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मेरे सोये भाग जगा भी दो(Mere Soye Bhag Jga Bhi Do Shiv Damaru Wale)

मेरे सोये भाग जगा भी दो,
शिव डमरू वाले,

मन के मंदिर में प्रभु को बसाना(Man Ke Mandir Mein Prabhu Ko Basana)

मन के मंदिर में प्रभु को बसाना,
बात हर एक के बस की नहीं है,

दिखाऊं कोनी लाड़लो, नजर लग जाए(Dikhao Koni Ladlo Najar Lag Jaaye)

दिखाऊं कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए,

रक्षाबंधन की पूजा विधि

सनातन हिंदू धर्म के अनुयायी हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाते हैं। इस साल रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। हालांकि, इस दिन भद्रा काल का साया भी रहेगा, जिसे अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं होता।

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