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चलो राम के धाम अयोध्या राम बुलाते है (Chalo Ram Ke Dham Ayodhya, Ram Bulate Hain)

चलो राम के धाम अयोध्या राम बुलाते है (Chalo Ram Ke Dham Ayodhya, Ram Bulate Hain)

श्री राम के भक्त सुनो,

ले भगवा हाथ में निकलो तुम

कर दो भगवामय जग को

रंग भगवे में अब रंगलो तुम

दर्शन करके हम जीवन सफल बनाते हैं


चलो राम के धाम अयोध्या

राम बुलाते है

सज गई नगरी राघव की

हम खबर सुनाते हैं

अरे चलो राम के धाम अयोध्या

राम बुलाते है


पुण्य धरा भी करती है

भक्तों श्री राम का स्वागत

बरसों से हमने रखी है

प्रभु राम से चाहत

रामराज फिर से आया ऐलान कराते हैं


चलो राम के धाम अयोध्या

राम बुलाते है

सज गई नगरी राघव की

हम खबर सुनाते हैं

अरे चलो राम के धाम अयोध्या

राम बुलाते है


सांसे राम से जिनकी चलती

प्राण उन्हीं के नाम

भरोसा है हम सबको उन पर

चल देंगे हम राम के धाम

प्राण में जिनके राम रहे वो राम को पाते हैं


चलो राम के धाम अयोध्या

राम बुलाते है

सज गई नगरी राघव की

हम खबर सुनाते हैं

अरे चलो राम के धाम अयोध्या

राम बुलाते है


जग मग जग मग रोशनी कर दो

दीए जले हर घर में

श्री राम की ज्योत जलाकर

मने दिवाली जग में

सज गई नगरी राघव की चलो देख के आते है


चलो राम के धाम अयोध्या

राम बुलाते है

सज गई नगरी राघव की

हम खबर सुनाते हैं

अरे चलो राम के धाम अयोध्या

राम बुलाते है



बोलो राम राम, बोलो राम राम

बोलो राम राम, बोलो राम राम

बोलो सीता राम, राम राम राम


बोलो राम राम, बोलो राम राम

बोलो राम राम, बोलो राम राम

बोलो सीता राम, राम राम राम


जय श्री राम

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महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान

महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने वाली है। अब जब भी कुंभ की बात हो, और शाही स्नान की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता। कुंभ और शाही स्नान एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।

महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान

शाही स्नान कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण है। इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और साधु संत महाकुंभ वाली जगह इकट्ठे होते हैं। इस दौरान सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत, विशेष रूप से नागा साधु, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

पूजा में क्यों करते हैं अक्षत का प्रयोग

अक्षत यानी कि पीले चावल। हिंदू धर्म में अक्षत को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इसे पूजा-पाठ में मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। बिना खंडित हुए चावल को अक्षत कहते हैं। यह पूजा में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पवित्रता, समृद्धि और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ अक्षत के बिना अधूरा माना जाता है। यह पूजा का विशेष सामग्री है।

शनिवार को तेल दान क्यों किया जाता है?

हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है और उनकी कृपा पाने के लिए भक्त विभिन्न प्रकार के उपाय करते हैं। इनमें से एक प्रमुख उपाय है शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाना है।

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