छोटो सो बंदर हद करिग्यो
सावामणि का लड्डू सारा चट करिगयो ॥
छोटो सो बन्दर हद करिग्यो
सावा मणि को लड्डू सारा चाट करिगयो॥
चोरी चोरी चुपके चुपके आओ बाबे रातो
में पूछ ने मरोदी देगी चक ली परात ने
आ प्यारा काम फटा फैट करिगयो
सवा मणि को लड्डू सारा चट करिगयो ॥
छोटो सो बन्दर हद करिग्यो
सवा मणि को लड्डू सारा चट करिगयो ॥
सवामणि लाडू लाओ पूरा पूरा तोल के
मोटा मोटा खगायो बाबो राम राम बोल के॥
देसी घी का लाडू गटा-गट करिगयो
सवामणि को लड्डू सारा चट करिगयो ॥
छोटो सो बन्दर हद करिग्यो
सवामणि को लड्डू सारा चाट करिगयो ॥
सच्चे सच्चे भक्त को भोग बाबा खायोजी
अंजनी का लाड लगाके दर्शन दिखायोजी
राजू पंजाबी का काम फटाफट करिगयो
सवामणि को लड्डू सारा चट करिगयो ॥
छोटो सो बंदर हद करिगयो
सवा मणि को लड्डू सारा चट करिगयो ॥
दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। हालांकि दिवाली की रोशनी से एक दिन पहले हमें अच्छाई और सच्चाई की ओर ले जाने वाला त्योहार आता है, जिसमें हम छोटी दिवाली के रूप में मनाते हैं।
छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से 5 दीये जलाने का प्रचलन है। इनमें से एक दीया घर के ऊंचे स्थान पर, दूसरा रसोई में, तीसरा पीने का पानी रखने की जगह पर, चौथा पीपल के पेड़ के तने और पांचवा घर के मुख्य द्वार पर जलाना सबसे उचित माना गया है।
दिवाली का त्योहार पूरे देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ अन्य देवी-देवताओं की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है।
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के दिन श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इनके अलावा इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का भी विधान है।