दादी चरणों में तेरे पड़ी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी,
हाथ किरपा का रख दे जरा,
हाथ किरपा का रख दे जरा,
लागि नैनो में असुवन झड़ी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी,
दादी चरणो में तेरे पड़ी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी ॥
मैं तो दुखडो से हारी हूँ माँ,
थोड़ी मुझ पे इनायत भी हो,
तेरे चरणों में मैं रह सकूँ,
मुझको इतनी इजाजत माँ हो,
तेरी दरकार मुझको बड़ी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी,
दादी चरणो में तेरे पड़ी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी ॥
धुप में मैं ग़मों की जली,
दे दे आँचल की छैया मुझे,
घाव दिल पे हजारो लगे,
दादी कैसे दिखाऊं तुझे,
मेरी अँखियों में पीड़ा भरी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी,
दादी चरणो में तेरे पड़ी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी ॥
‘हर्ष’ तेरे सिवा मैंने तो,
माँ किसी को पुकारा नहीं,
तेरी ‘स्वाति’ अगर रोए तो,
मैया तुझको गवारा नहीं,
तेरी चौखट पे नजरे गड़ी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी,
दादी चरणो में तेरे पड़ी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी ॥
दादी चरणों में तेरे पड़ी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी,
हाथ किरपा का रख दे जरा,
हाथ किरपा का रख दे जरा,
लागि नैनो में असुवन झड़ी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी,
दादी चरणो में तेरे पड़ी,
मैया तुझको निहारूं खड़ी ॥
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इस तिथि पर उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र और शूल योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा कन्या राशि में हैं और सूर्य मीन राशि में मौजूद हैं।
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इस तिथि पर उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र और गण्ड योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा कन्या राशि में हैं और सूर्य मीन राशि में मौजूद हैं।
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। इस तिथि पर हस्त नक्षत्र और वृद्धि योग का संयोग बन रहा है।
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। इस तिथि पर चित्रा नक्षत्र और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा तुला राशि में हैं और सूर्य मीन राशि में मौजूद हैं।