दादी के दरबार की, महिमा अपरम्पार (Dadi Ke Darbar Ki Mahima Aprampaar)

दादी के दरबार की,

महिमा अपरम्पार,

हरपल भक्तों के ऊपर,

माँ बरसे तेरा प्यार,

दादी कें दरबार की,

महिमा अपरम्पार ॥


बूढ़े बालक और नर नारी,

माँ के दर पे आते है,

खाली झोली लेकर आते,

भर भर झोली जाते है,

जो मांगो सो मिल जाए,

माँ देने को तैयार,

दादी कें दरबार की,

महिमा अपरम्पार ॥


सारे जग की ये सेठानी,

सब बच्चो की माता है,

देती है चुपचाप सभी को,

पता नहीं चल पाता है,

वो दोनों हाथ लुटाए,

पर भरा रहे भंडार,

दादी कें दरबार की,

महिमा अपरम्पार ॥


जिसके मन में श्रद्धा भक्ति,

मैया लाड़ लड़ाती है,

उसके खातिर बिना बुलाए,

दौड़ी दौड़ी आती है,

ऐसे प्रेमी का घर तो,

है मैया का परिवार,

दादी कें दरबार की,

महिमा अपरम्पार ॥


सच्चे मन से सुमिरन कर ले,

तेरी सुनाई कर लेगी,

मन की पीड़ा माँ से कह दे,

सारे संकट हर लेगी,

क्यों घबराता है ‘बिन्नू’,

तू आ जा माँ के द्वार,

दादी कें दरबार की,

महिमा अपरम्पार ॥


दादी के दरबार की,

महिमा अपरम्पार,

हरपल भक्तों के ऊपर,

माँ बरसे तेरा प्यार,

दादी कें दरबार की,

महिमा अपरम्पार ॥

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ब्रजराज ब्रजबिहारी! इतनी विनय हमारी (Brajaraj Brajbihari Itni Vinay Hamari)

ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
इतनी विनय हमारी, वृन्दा-विपिन बसा ले

मुरली वाले ने घेर लयी, अकेली पनिया गयी (Murli Wale Ne Gher Layi)

मुरली वाले ने घेर लयी
अकेली पनिया गयी ॥

श्री कृष्ण चालीसा

सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को पूर्णावतार माना गया है। उनका जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था।

चले है भोला, सज धज के - भजन (Chale Hai Bhola Saj Dhaj Ke)

भोला तन पे भस्म लगाये,
मन में गौरा को बसाये,

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