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दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया (Dard Kisako Dikhaun Kanaiya)

दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया (Dard Kisako Dikhaun Kanaiya)

दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया,

कोई हमदर्द तुमसा नहीं है,

दुनिया वाले नमक है छिड़कते,

कोई मरहम लगाता नहीं है ।

दर्द किसकों दिखाऊँ कन्हैया,

कोई हमदर्द तुमसा नहीं है ॥


किसको बैरी कहूं किसको अपना,

झूठे वादे है सारे ये सपना,

अब तो कहने में आती शरम है,

रिश्ते नाते ये सारे भरम है,

देख खुशियां मेरी ज़िंदगी की,

रास अपनों को आती नहीं है ।

दर्द किसकों दिखाऊँ कन्हैया,

कोई हमदर्द तुमसा नहीं है ॥


ठोकरों पर है ठोकर खाया,

जब भी दिल दुसरो से लगाया,

हर कदम पे है सबने गिराया,

सबने स्वारथ का रिश्ता निभाया,

तुझसे नैना लड़ाना कन्हैया,

दुनिया वालो को भाता नहीं है ।

दर्द किसकों दिखाऊँ कन्हैया,

कोई हमदर्द तुमसा नहीं है ॥


दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया,

कोई हमदर्द तुमसा नहीं है,

दुनिया वाले नमक है छिड़कते,

कोई मरहम लगाता नहीं है ।

दर्द किसकों दिखाऊँ कन्हैया,

कोई हमदर्द तुमसा नहीं है ॥

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हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी (Hari Sir Dhare Mukut Khele Hori)

हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी
कहाँ से आयो कुँवर कन्हैया

उत्पन्ना एकादशी का चालीसा

उत्पन्ना एकादशी सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। वैसे तो हर माह में दो एकादशी आती है, लेकिन उत्पन्ना एकादशी का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन मां एकादशी का जन्म हुआ था।

उत्पन्ना एकादशी के उपाय

उत्पन्ना एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

उत्पन्ना एकादशी के जाप मंत्र

उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा के लिए समर्पित है।

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