दर्श करा दे मेरे सांवरे,
म्हारे नैना हुए बावरे,
थारा कुछ भी ना लगे,
थारे बिन जी ना लगे,
दर्श करा दे मेरे साँवरे,
म्हारे नैना हुए बावरे ॥
म्हारी हालत बस तू ही जाने,
रो रो गुज़ारू दिल ना माने,
कैसे जियुं श्याम मेरे सांवरे,
थारा कुछ भी ना लगे,
थारे बिन जी ना लगे,
दर्श करा दे मेरे साँवरे,
म्हारे नैना हुए बावरे ॥
एक बस तू ही दिखे मुझको,
दिल की सुनाउँ मैं किसको,
धीर बंधाओ श्याम मेरे सांवरे,
थारा कुछ भी ना लगे,
थारे बिन जी ना लगे,
दर्श करा दे मेरे साँवरे,
म्हारे नैना हुए बावरे ॥
मेरा भरोसा बस एक तू,
दिल में श्याम एक बस तू,
पीर मिटाओ श्याम मेरे सांवरे,
थारा कुछ भी ना लगे,
थारे बिन जी ना लगे,
दर्श करा दे मेरे साँवरे,
म्हारे नैना हुए बावरे ॥
प्रेम का डोरी से तूने बाँधा,
‘दीपक’ श्याम से जन्मों का नाता,
दर्श दिखाओ श्याम मेरे सांवरे,
थारा कुछ भी ना लगे,
थारे बिन जी ना लगे,
दर्श करा दे मेरे साँवरे,
म्हारे नैना हुए बावरे ॥
दर्श करा दे मेरे सांवरे,
म्हारे नैना हुए बावरे,
थारा कुछ भी ना लगे,
थारे बिन जी ना लगे,
दर्श करा दे मेरे साँवरे,
म्हारे नैना हुए बावरे ॥
पंचांग के अनुसार, इस साल मौनी अमावस्या बुधवार, 29 जनवरी 2025 को है। बता दें कि माघ माह की अमावस्या को ही मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व होता है। इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है।
फिलहाल, जोर-शोर से महाकुंभ चल रहा है। इसमें नागा साधु के अलावा विभिन्न प्रकार के साधु-संन्यासी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। देश के कोने-कोने से यहां साधु-संत पहुंचे हैं।
नागा साधु एक विशेष प्रकार के संन्यासी होते हैं, जो अपनी साधना और तपस्या के लिए कठोर जीवनशैली अपनाते हैं। जबकि वे कुंभ मेले जैसे विशेष अवसरों पर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, सामान्य साधु की तरह वे रोज नहाने पर विश्वास नहीं करते।
संन्यास और वैराग्य, दोनों ही आध्यात्मिक साधना के प्रमुख मार्ग हैं। परंतु, जब भी लोग किसी संन्यासी को देखते हैं तो अक्सर उन्हें वैरागी समझ लिया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दोनों ही उच्च आध्यात्मिक साधना और ईश्वर की भक्ति से जुड़े होते हैं।