दर्शन को अखियाँ प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी,
मुझ निर्धन के घर आँगन में,
कब आवन होगा श्याम धणी,
दर्शन को अखियां प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥
मेरे घर में तुम्हे बिठाने को,
ना चौकी ना सिंहासन है,
ना दीपक ना बाती है,
ना अक्षत है ना चंदन है,
श्रद्धा के फूलों से तेरा,
अभिनन्दन होगा श्याम धणी,
दर्शन को अखियां प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥
सावन भादों दोनों बीते,
और बीती होली दिवाली है,
पर मुझे देखने नहीं मिली,
तेरी सूरत भोली भाली है,
ना जाने किस दिन अखियों को,
पग दर्शन होगा श्याम धणी,
दर्शन को अखियां प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥
दर्शन को अखियाँ प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी,
मुझ निर्धन के घर आँगन में,
कब आवन होगा श्याम धणी,
दर्शन को अखियां प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥
गुरु दक्षिणा की परंपरा हिंदू संस्कृति में प्राचीन काल से चली आ रही है। किसी भी व्यक्ति की सफलता में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए, इस पूजा के जरिए हम अपने गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करते हैं।
नई पुस्तक का विमोचन किसी लेखक के लिए एक बेहद खास अवसर होता है। यह न केवल उसकी विद्या और ज्ञान का प्रतीक होता है, बल्कि उसकी मेहनत और समर्पण की भी पहचान होती है।
हिंदू धर्म के 16 प्रमुख संस्कार है। इन्हीं में से एक संस्कार है अन्नप्राशन संस्कार है। यह संस्कार बच्चे के जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना होती है। दरअसल इस संस्कार के दौरान बच्चे को पहली बार ठोस आहार खिलाया जाता है।
हिंदू धर्म में किसी भी नए कार्य की शुरुआत से पहले पूजा करने की एक प्राचीन परंपरा रही है। विशेष रूप से व्यवसाय या दुकान की शुरुआत के समय पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।