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सबको अमृत बांटे,
खुद विष पि जाते है,
देवों के देव है ये,
महादेव कहलाते है ॥
ये औघड़ दानी है,
संग मात भवानी है,
दुनिया दीवानी है,
ये डमरू बजाते है,
देवो के देव है ये,
महादेव कहलाते है ॥
माथे पर है चंदा,
और जटा में है गंगा,
कटे चौरासी फंदा,
जो इनका ध्यान लगाते है,
देवो के देव है ये,
महादेव कहलाते है ॥
गले सर्पो की माला,
तन पे है मृगछाला,
पि के भंग का प्याला,
ये भस्म रमाते है,
देवो के देव है ये,
महादेव कहलाते है ॥
शिव शंकर भोलेनाथ,
रख दो मेरे सिर पे हाथ,
दे दो ‘वशिष्ठ’ का साथ,
हम तुम्हे मनाते है,
देवो के देव है ये,
महादेव कहलाते है ॥
सबको अमृत बांटे,
खुद विष पि जाते है,
देवों के देव है ये,
महादेव कहलाते है ॥
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