देवता भी स्वार्थी थे,
दौड़े अमृत के लिए,
हम सदा उनको भजेंगे,
जो जहर हंस के पिए,
हम नमन उनको करेंगे,
जो जहर हंस के पिए ॥
जो रहे अमृत के पीछे,
सोचो वो क्या देव है,
जगत के खातिर विष पिया जो,
वो बने महादेव है,
हम नमन उनको करेंगे,
हम नमन उनको करेंगे,
जो सदा सबको दिए,
हम सदा उनको भजेंगे,
जो जहर हंस के पिए ॥
औरो के खातिर जगत में,
सब नहीं जी सकते है,
जो है अविनाशी अजन्मा,
जहर वही पी सकते है,
हम नमन उनको करेंगे,
हम नमन उनको करेंगे,
जो मरे ना ना जिए,
हम सदा उनको भजेंगे,
जो जहर हंस के पिए ॥
देवता भी स्वार्थी थे,
दौड़े अमृत के लिए,
हम सदा उनको भजेंगे,
जो जहर हंस के पिए,
हम नमन उनको करेंगे,
जो जहर हंस के पिए ॥
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,चन्द्र सहोदरि हेममये ,
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि,मञ्जुळभाषिणि वेदनुते।
व्रत करने वाला पूर्णिमा व संक्रान्ति के दिन सायंकाल को स्नानादि से निवृत होकर पूजा-स्थान में आसन पर बैठ कर श्रद्धा पूर्वक गौरी, गणेश, वरूण, विष्णु आदि सब देवताओं का ध्यान करके पूजन करें और संकल्प करें कि मैं सत्यनारायण स्वामी का पूजन तथा कथा-श्रवण सदैव करूंगा ।
भगवती महालक्ष्मी चल एवं अचल, दृश्य एवं अदृश्य सभी सम्पत्तियों, सिद्धियों एवं निधियों की अधिष्ठात्री साक्षात् नारायणी हैं।
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,कहां उसे विश्राम।