ध्यानु की तरह अम्बे,
मेरा नाम अमर कर दो,
चरणों में मिट जाऊं,
भक्ति की नजर कर दो,
ध्यानु की तरह अम्बें,
मेरा नाम अमर कर दो ॥
चोला बसंती माँ,
पहना है लिए मस्ती,
सर प्रेम के बाने में,
लाली है तेरी हस्ती,
झंकार के छैनों की,
इस मन को संवर कर दो,
ध्यानु की तरह अम्बें,
मेरा नाम अमर कर दो ॥
मंगलमय शुभ ज्योति,
मन मंदिर में जागी,
तेरा पंथ निराला है,
मोहे सांची लगन लागी,
गुण गान करे वाणी,
स्वासों में असर कर दो,
ध्यानु की तरह अम्बें,
मेरा नाम अमर कर दो ॥
माता और बेटे का,
रिश्ता ये पुराना है,
ममता में बंधती वो,
मैंने तो ये जाना है,
रहमत की निगाहें माँ,
इक बार अगर कर दो,
ध्यानु की तरह अम्बें,
मेरा नाम अमर कर दो ॥
ध्यानु की तरह अम्बे,
मेरा नाम अमर कर दो,
चरणों में मिट जाऊं,
भक्ति की नजर कर दो,
ध्यानु की तरह अम्बें,
मेरा नाम अमर कर दो ॥
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनाया जाता है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत फलदायक माना गया है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जो विघ्नहर्ता, बुद्धि के दाता और मंगलकर्ता हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, भानू सप्तमी हर वर्ष कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है और इसे सूर्य सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन भक्त सूर्य देव की उपासना करते हैं।
हिंदू धर्म में सभी एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। हर महीने में दो एकादशी की तिथियां आती हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं और वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा का संचार होता है।