दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से (Dinanath Meri Baat Chani Koni Tere Se)

दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से

दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से

आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से

आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से


दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से

आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से


खाटू वाले श्याम तेरी शरण में आ गयो

श्याम प्रभु रूप तेरो नैणां में समां गयो

बिसरावे मत बाबा, हार मानी तेरे से

आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से


दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से

आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से


बालक हूँ मैं तेरो श्याम, मुझको निभायले

दुखड़े को मारयो मन, कालजे लगायले

पथ दिखलादे बाबा, काढ़ दे अँधेरे से

आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से


दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से

आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से


मुरली अधर पे, कदम तल झूमे हैं

भक्त खड़ा तेरे चरणां ने चूमे हैं

खाली हाथ बोल कया, जाऊ तेरे-नेरे से

आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से


दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से

आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से


खाओ हो थे खीर चूरमो लीले ऊपर घूमो हो

सेवका न बाबा थे क़द्दे ही कोनी भूलो हो

टाबरियाँ की झोली भर भेजो थारे डेरे से

आँखडली चुरा के बाबा जासी कठे मेरे से


दीनानाथ मेरी बात छानी कोनी तेरे से

आँखडली चुराकर बाबा जासी कठे मेरे से

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तुम करलो प्रभु से प्यार, अमृत बरसेगा(Tum Karlo Prabhu Se Pyar Amrat Barsega)

तुम करलो प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा,

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे मंगलकारी योग

सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की आराधना कर सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।

छठ व्रत कथा (Chhath Vrat Katha)

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