दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से
दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से
आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से
आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से
दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से
आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से
खाटू वाले श्याम तेरी शरण में आ गयो
श्याम प्रभु रूप तेरो नैणां में समां गयो
बिसरावे मत बाबा, हार मानी तेरे से
आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से
दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से
आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से
बालक हूँ मैं तेरो श्याम, मुझको निभायले
दुखड़े को मारयो मन, कालजे लगायले
पथ दिखलादे बाबा, काढ़ दे अँधेरे से
आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से
दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से
आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से
मुरली अधर पे, कदम तल झूमे हैं
भक्त खड़ा तेरे चरणां ने चूमे हैं
खाली हाथ बोल कया, जाऊ तेरे-नेरे से
आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से
दीनानाथ मेरी बात, छानी कोणी तेरे से
आँखड़ली चुराकर बाबा, जासी कठे मेरे से
खाओ हो थे खीर चूरमो लीले ऊपर घूमो हो
सेवका न बाबा थे क़द्दे ही कोनी भूलो हो
टाबरियाँ की झोली भर भेजो थारे डेरे से
आँखडली चुरा के बाबा जासी कठे मेरे से
दीनानाथ मेरी बात छानी कोनी तेरे से
आँखडली चुराकर बाबा जासी कठे मेरे से
द्वापर युग की बात हैं भगवान कृष्ण के अवतार के समय भगवान ने गोवर्धन पर्वत का उद्धार और इंद्र के अभिमान का नाश भी किया था।
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
सबसे पहले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं।
>> नरक चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले स्नान करने और घर के मंदिर में दीपक जलाने का विधान है।