दृष्टि हम पे दया की माँ डालो,
बडी संकट की आई घड़ी है ।
द्वार पर तेरे हम भी खड़े है,
आँखो में आँसुओ कि झड़ी है ॥
निर्बल का सहारा यही है,
रास्ता दुसरा ना कही है ।
तेरा दर्श अगर तू दिखा दे,
टूट जाये गमो की लड़ी है ॥
सारे भक्तो को तुमने है तारा,
वासता तुमसे भी है हमारा ।
तार दे माँ तेरे बालकों को,
हम पर विपदा ही ऐसी पड़ी है ॥
फरियादों की झोली अड़ी है,
फते करने को माँ तू खड़ीं है ।
ये शिवाजी को आशिष दे कर,
धन्य करदे तू सबसे बड़ी है ॥
दृष्टि हम पे दया की माँ डालो,
बडी संकट की आई घड़ी है ।
द्वार पर तेरे हम भी खड़े है,
आँखो में आँसुओ कि झड़ी है ॥
भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाया जाने वाला मत्स्य द्वादशी पर्व इस साल दिसंबर में मनाया जाएगा। यह पर्व मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है ।
सनातन धर्म में एकादशी व्रत को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मार्गशीर्ष माह में मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इसी दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।
मोक्षदा एकादशी सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ मानी जाती है। इसे मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।
वेदों में सूर्य को न केवल जगत की आत्मा बल्कि ईश्वर का नेत्र भी माना गया है। जीवन, स्वास्थ्य और शक्ति के देवता के रूप में उनकी पूजा की जाती है।