गजानन आ जाओ एक बार(Gajanan Aa Jao Ek Baar )

गजानन आ जाओ एक बार,

सभा में तुम्हें बुलाते है ॥

सबसे पहले हो तेरी पूजा,

फिर काम बने बाबा दुजा,

हो तेरी पूजा हो हर बार,

सभा में तुम्हें बुलाते है ॥


देवो में देव निराला,

तू माँ गोरा का लाला,

तेरी महिमा अपरम्पार,

सभा में तुम्हें बुलाते है ॥


मैंने तेरा ध्यान लगाया,

तेरा रूप मेरे मन भाया,

करो ख़ुशियों की बौछार,

सभा में तुम्हें बुलाते है ॥


यो अमरहेड़ी त आव,

आनन्द तेरी महिमा गाव,

सबका करदो बेड़ा पर,

सभा में तुम्हें बुलाते है ॥


गजानन आ जाओ एक बार,

सभा में तुम्हें बुलाते है ॥

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अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार (Ab Saump Diya Is Jeevan Ka, Sab Bhar)

अब सौंप दिया इस जीवन का,
सब भार तुम्हारे हाथों में,

क्यों मनाई जाती है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, जानें इस दिन का महत्व

हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, लेकिन मार्गशीर्ष मास की चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है।

बिल्वाष्टकम् (Bilvashtakam)

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं, त्रिजन्मपापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥1॥

जय जय राधा रमण हरी बोल (Jai Jai Radha Raman Hari Bol)

जय जय राधा रमण हरी बोल,
जय जय राधा रमण हरि बोल ॥

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