गंगा के खड़े किनारे, भगवान् मांग रहे नैया (Ganga Ke Khade Kinare Bhagwan Mang Rahe Naiya)

गंगा के खड़े किनारे

भगवान् मांग रहे नैया

भगवान् मांग रहे नैया

श्री राम मांग रहे नैया


तुम कोन देश से आये,

और कोन देश है जाना

तुम किसके राज दुलारे,

भगवान् मांग रहे नैया


हम अवधपुरी से आये,

और चित्रकूट है जाना

दसरथ के राज दुलारे,

भगवान् मांग रहे नैया


पहले तो राम जी बेठे

फिर बेठी सीता मैया

पीछे से लक्ष्मण भइया

भगवान् मांग रहे नैया


केवट ने नाव चलाई

जब बीच भंवर में आई

जय बोलो गंगा मैया

पहले तो राम जी उतरे


फिर उतरी सीता मैया

पीछे से लक्ष्मण भइया

भगवान् मांग रहे नैया

लक्ष्मण ने कुटियाँ बनाई


फूलों से खूब सजाई

प्रभु रहने को तैयार

भगवान् मांग रहे नैया


प्रभु चितरकुत में रहते,

ऋषियों को ज्ञान सुनाते


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सच्चा है माँ का दरबार, मैय्या का जवाब नहीं (Saccha Hai Maa Ka Darbar, Maiya Ka Jawab Nahi)

दरबार हजारो देखे है,
पर माँ के दर सा कोई,

चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अंतर

सनातन परंपरा में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र के महीने में, जिससे हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। दूसरा, आश्विन माह में आता है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं।

कलयुग में शिवयुग आया है (Kalyug Mein Shiv Yug Aaya Hai)

कलयुग में शिवयुग आया है,
महादेव ये तेरा रचाया है,

वीरविंशतिकाख्यं श्री हनुमत्स्तोत्रम्

लाङ्गूलमृष्टवियदम्बुधिमध्यमार्ग , मुत्प्लुत्ययान्तममरेन्द्रमुदो निदानम्।

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