गणपति आयो बापा,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गजानंद आयो,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गणपति आयों बापा,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गजानंद आयो,
रिद्धि सिद्धि लायो ॥
शिव जी नो बाल आयो,
उमिया नो लाल आयो,
आयो रे आयो बाबो,
लम्बोदर आयो,
गणपति आयो बाबो,
रिद्धि सिद्धि लायो,
निर्भय वाला थे तो,
नाम सुणायो,
गजानंद आयो,
एकदन्त आयो,
गजानंद आयो,
एकदन्त आयो,
गणपति आयों बापा,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गजानंद आयो,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गजानंद आयो,
रिद्धि सिद्धि लायो ॥
मोटी सूंडालो आयो,
देव महाकाय आयो,
आयो रे आयो बाबो,
सूर्पकर्ण आयो,
गजानंद आयो बाबो,
रिद्धि सिद्धि लायो,
निर्भय वाला थे तो,
माथे मुकुट बाबा,
मोतिन लगायो,
गजानंद आयो,
एकदन्त आयो,
गणपति आयों बापा,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गजानंद आयो,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गजानंद आयो,
रिद्धि सिद्धि लायो ॥
काज सुधारवा आयो,
फुलड़ा में लई बधायो,
आयो रे आयो बाबा,
चतुर्भुज आयो,
गणपति आयो बाबो,
रिद्धि सिद्धि लायो,
जिमवा पधारो बाबा,
थाल धरायो,
गजानंद आयो बाबा,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गणपति आयो बापा,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गजानंद आयो,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गजानंद आयो,
रिद्धि सिद्धि लायो ॥
आरती उतारवा आयो,
धुप गूगल ने लायो,
लायो रे लायो हूँ तो,
फूल माला लायो,
गजानंद आयो बाबो,
रिद्धि सिद्धि लायो,
देवो मा तू देव छे मोटो,
सौ मा सवायो,
गजानंद आयो बाबा,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गणपति आयो बाबा,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गजानंद आयो,
रिद्धि सिद्धि लायो,
गजानंद आयो,
रिद्धि सिद्धि लायो ॥
सनातन धर्म में कालाष्टमी का विशेष महत्व है। इसे भगवान काल भैरव की उपासना का दिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और विशेष पूजा करने से साधकों को शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त होती है।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है, जो भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को जन्मे थे।
चेटीचंड, सिंधी समुदाय के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जिसे सिंधी नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है।
झूलेलाल जयंती, जिसे चेटीचंड के नाम से भी जाना जाता है, सिंधी समुदाय के लिए एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन होता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जो हिंदू नववर्ष के प्रारंभिक दिनों में आता है।