गौरी के लाला हो,
मेरे घर आ जाना,
घर आँगन की ओ देवा,
शोभा बढ़ा जाना,
गौरी के लाला हों,
मेरे घर आ जाना ॥
भादो मास आया है,
संग में खुशियाँ लाया है,
बड़े जतनो से है मैंने,
घर क़ो अपने सजाया है,
तूने वादा किया था मुझसे,
वादा निभा जाना,
गौरी के लाला हों,
मेरे घर आ जाना ॥
चंदन चौकी सजाऊं,
उसपे तुझको बिठाऊं,
पान फूल चढ़ाके,
मोदक भोग लगाऊं,
बड़े प्रेम से बनाए हैं,
ये लडवन खा जाना,
गौरी के लाला हों,
मेरे घर आ जाना ॥
रोज कीर्तन गजानन करूँ,
तेरी भक्ति में ध्यान धरूँ,
पुरी श्रद्धा से हे मेरे देवा,
निश दिन मैं तेरा पूजन करूँ,
अकेले ना आना प्रभु,
रिद्धि सिद्धि संग लाना,
गौरी के लाला हों,
मेरे घर आ जाना ॥
जपे तेरा जो नाम प्रभु,
करते तुमको प्रणाम प्रभु,
उनके विघ्न और बाधा टलें,
बनते बिगड़े काम प्रभु,
आस मैंने लगाई है जो,
उसको पुगा जाना,
गौरी के लाला हों,
मेरे घर आ जाना ॥
गौरी के लाला हो,
मेरे घर आ जाना,
घर आँगन की ओ देवा,
शोभा बढ़ा जाना,
गौरी के लाला हों,
मेरे घर आ जाना ॥
प्राचीन काल से ही हिंदुओं के घर आंगन में तुलसी का पौधा उगाया जाता है। तुलसी का आयुर्वेदिक और धार्मिक महत्व हमारे वेदों पुराणों में वर्णित है। तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है।
कुंभ मेला सनातन धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक जैसे पवित्र स्थलों पर आयोजित होता है।
महाकुंभ सनातन धर्म का सबसे पवित्र और ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन में से एक है। प्रत्येक 12 साल में महाकुंभ का आयोजन भारत के चार पवित्र स्थलों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में किया जाता है।
हिन्दू धर्म में कुल 33 करोड़ देवी-देवता की पूजा अर्चना का विधान है। कुछ ग्रंथों में इस संख्या को तैंतीस प्रकार के देवताओं के रूप में पारिभाषित किया गया है।