गौरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
दोहा – सदा भवानी दाहिनी,
सन्मुख रहे गणेश,
पाँच देव रक्षा करें,
ब्रह्मा विष्णु महेश ॥
गौरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो,
घर में पधारो,
कीर्तन में पधारो,
काटो सकल कलेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजा धारी,
माथे सिंदूर सोहे मूस की सवारी,
हे सर्व सिद्धि सर्वेश जी,
मेरे घर में पधारो,
गोरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
मोदक प्रिय मुद मंगल दाता,
विद्या वारिधि बुद्धि विधाता,
हे गणपति पुत्र उमेश जी,
मेरे घर में पधारो,
गोरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
शंकर सुवन भवानी के नंदन,
चरण कमल पे शत शत वंदन,
मेरे हृदय करो प्रवेश जी,
मेरे घर में पधारो,
गोरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
गौरी के पुत्र गणेंश जी,
मेरे घर में पधारो,
घर में पधारो,
कीर्तन में पधारो,
काटो सकल कलेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥
मरने के बाद क्या होता है, आत्मा कैसे शरीर छोड़ती है और कैसे दूसरा शरीर धारण करती है। ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब हर कोई जानना चाहता है।
शरद पूर्णिमा के समापन के बाद कार्तिक मास की शुरुआत हो जाती है। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को विशेष महत्व प्राप्त है। इस महीने जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है।
सनातन धर्म में श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु और श्री महेश तीनों को सभी देवी देवताओं में श्रेष्ठ माना गया है। इनसे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को अत्यंत शुभ और पूजनीय माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है।