गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो(Gira Ja Raha Hu Utha Lo)

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,


खाली ना जाता कोई दर से तुम्हारे,

द्वारे खड़ा हूँ नन्ही बाहें पसारे,

चरणों की सेवा में, लगा लो लगा लो

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।

प्रभु अपने दर से..


नहीं टूट पायेगा, दुनियाँ का बंधन,

जब तक कृपा ना होगी तेरी रघुनंदन,

कदम लड़खड़ाए हैं, संभालो संभालो

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।

प्रभु अपने दर से..


अगर था हटाना तो फिर क्यों बुलाया,

सोते ही रहने देते काहे जगाया,

अब जब जगाया तो अपना बना लो,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।

प्रभु अपने दर से..


बंधन प्रताप सारे टूट चुके हैं,

जितने सहारे थे छूट चुके हैं,

अवसर मिला है अपना वादा निभा लो,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।

प्रभु अपने दर से..


प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,

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शंकर चौड़ा रे (Shankar Chaura Re)

शंकर चौड़ा रे, महामाई कर रही सोलह रे।
सिंगार माई कर रही, सोलह रे

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

उत्पन्ना एकादशी की पौराणिक कथा मां एकादशी के जन्म से संबंधित है। इसमें ये बताया गया है कि उन्होंने भगवान विष्णु को एक राक्षस से कैसे बचाया। दरअसल सतयुग में एक मुरा नाम का एक राक्षस था।

श्री लक्ष्मी चालीसा

मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास ।
मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस ॥

बता दो कोई माँ के भवन की राह (Bata Do Koi Maa Ke Bhawan Ki Raah)

बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥

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