प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,
प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,
खाली ना जाता कोई दर से तुम्हारे,
द्वारे खड़ा हूँ नन्ही बाहें पसारे,
चरणों की सेवा में, लगा लो लगा लो
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,
प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।
प्रभु अपने दर से..
नहीं टूट पायेगा, दुनियाँ का बंधन,
जब तक कृपा ना होगी तेरी रघुनंदन,
कदम लड़खड़ाए हैं, संभालो संभालो
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,
प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।
प्रभु अपने दर से..
अगर था हटाना तो फिर क्यों बुलाया,
सोते ही रहने देते काहे जगाया,
अब जब जगाया तो अपना बना लो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,
प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।
प्रभु अपने दर से..
बंधन प्रताप सारे टूट चुके हैं,
जितने सहारे थे छूट चुके हैं,
अवसर मिला है अपना वादा निभा लो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,
प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो ।
प्रभु अपने दर से..
प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,
प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालों,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। इसका इंतजार शिव भक्तों को बेसब्री से रहता है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर शिव पूजन करने और उपवास रखने से भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शनि प्रदोष का दिन भगवान भोलेनाथ के साथ शनिदेव की पूजा-आराधना के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन शनिदेव और शिवजी की पूजा करने से जीवन के समस्त दुखों से छुटकारा मिलता है और शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा समेत अन्य परेशानियां भी दूर होती है।
हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। पंचांग के मुताबिक साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा, इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष भी कहलाएगा।
सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करने का विधान है। इस दिन से प्रयागराज में कल्पवास शुरू किया जाता है, इस दिन व्रत, स्नान दान करने से मां लक्ष्मी और विष्णु जी बेहद प्रसन्न होते हैं।