गिरिजा के छैया,
गणपति तुम्हे पुकारूँ,
पूजूं मैं तुम्हे,
आरती तेरी उतारूँ,
गिरिजा के छैंया ॥
पान फूल मेवा से,
चरणों की सेवा से,
प्रथम तुम्हे पूजूं,
मैं छवि चित धारण,
गिरिजा के छैंया,
गणपति तुम्हे पुकारूँ,
गिरिजा के छैंया ॥
देव दुष्ट हन्ता हो,
जगत के नियंता हो,
शरण आऊं आपकी,
मैं पइयाँ पखारूँ,
गिरिजा के छैंया,
गणपति तुम्हे पुकारूँ,
गिरिजा के छैंया ॥
रिद्धि सिद्धि दाता हो,
ज्ञान के विधाता हो,
हर लो दुःख देवा,
आशा से तुम्हे निहारूं,
गिरिजा के छैंया,
गणपति तुम्हे पुकारूँ,
गिरिजा के छैंया ॥
गिरिजा के छैया,
गणपति तुम्हे पुकारूँ,
पूजूं मैं तुम्हे,
आरती तेरी उतारूँ,
गिरिजा के छैंया ॥
महाकुंभ में देश के कोने-कोने से धर्मगुरु और साधु-संत एकत्र हुए हैं। इस विशाल मेले में हर दिन कोई न कोई ऐसा अद्भुत दृश्य दिखाई देता है जो लोगों को आश्चर्यचकित कर देता है।
प्रयागराज का महाकुंभ हमेशा से ही अद्भुत दृश्यों और आध्यात्मिक अनुभवों का केंद्र रहा है। इस बार भी महाकुंभ ने लोगों को हैरान करते हुए कई अनोखे किस्से दिए हैं। आईआईटी से पढ़े बाबा को देखा और यूट्यूबर की चिमटे और मोर पंख से पिटाई भी देखी।
आस्था की संगम नगरी प्रयागराज इस समय महाकुंभ के रंग में पूरी तरह रंगी हुई है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ के लिए भारत के विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भव्य पेशवाई के साथ महाकुंभ नगर में प्रवेश कर चुके हैं।
प्रयागराज का महाकुंभ अपने आप में एक अद्भुत नजारा है। लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ, हजारों साधु-संत भी यहां आते हैं। इनमें नागा साधुओं का अपना ही महत्व है। इनका कठोर तप और त्याग सभी को प्रेरित करता है।