गौरा ढूंढ रही पर्वत पर(Gora Dhund Rahi Parvat Pe)

गौरा ढूंढ रही पर्वत पर,

शिव को पति बनाने को,

पति बनाने को, भोले को,

पति बनाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे माथे का टिका,

मांग सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे सोने की नथनी,

नाक सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे गले का हरवा,

गला सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे सोने का कंगना,

हाथ सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे रेशम की साड़ी,

तन पे सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे सोने की करधनी,

कमर सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


गौरा ढूंढ रही पर्वत पर,

शिव को पति बनाने को,

पति बनाने को, भोले को,

पति बनाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥

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मेरी रसना से प्रभु तेरा नाम निकले (Meri Rasna Se Prabhu Tera Naam Nikle)

मेरी रसना से प्रभु तेरा नाम निकले,
हर घड़ी हर पल राम राम निकले ॥

दुर्गा पूजा पुष्पांजली

प्रथम पुष्पांजली मंत्र
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी ।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥ Pratham Puspanjali Mantra
om jayanti, mangla, kali, bhadrakali, kapalini .
durga, shiva, kshama, dhatri, svahaa, svadha namo̕stu te॥
esh sachandan gandh pusp bilva patranjali om hrim durgaye namah॥

तिलकुट चौथ की पूजा सामग्री

सकट चौथ व्रत मुख्यतः संतान की लंबी उम्र, उनके अच्छे स्वास्थ्य और तरक्की की कामना के लिए रखा जाता है। इस पर्व को गौरी पुत्र भगवान गणेश और माता सकट को समर्पित किया गया है। इसे भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे:- तिलकुट चौथ, वक्र-तुण्डि चतुर्थी और माघी चौथ।

वैशाख संकष्ठी चतुर्थी व्रत कथा

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनाया जाता है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत फलदायक माना गया है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जो विघ्नहर्ता, बुद्धि के दाता और मंगलकर्ता हैं।

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