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गोविंद चले आओ, गोपाल चले आओ (Govind Chale Aao, Gopal Chale Aao)

गोविंद चले आओ, गोपाल चले आओ (Govind Chale Aao, Gopal Chale Aao)

गोविंद चले आओ,

गोपाल चले आओ,

गोविंद चले आओ,

गोपाल चले आओ,

मेरे मुरलीधर माधव,

मेरे मुरलीधर माधव,

नंदलाल चले आओ,

गोविंद चले आओ,

गोपाल चले आओ,

गोविंद चले आओ,

गोपाल चले आओ ॥


आँखों में बसे हो तुम,

धड़कन में धड़कते हो,

कुछ ऐसा करो मोहन,

स्वासों में समां जाओ,

कुछ ऐसा करो मोहन,

स्वासों में समां जाओ,

गोविंद चले आओ,

गोपाल चले आओ ॥


इक शर्त ज़माने से,

प्रभु हमने लगा ली है,

इक शर्त ज़माने से,

प्रभु हमने लगा ली है,

या हमको बुला लो तुम,

या खुद ही चले आओ,

या हमको बुला लो तुम,

या खुद ही चले आओ,

गोविंद चले आओ,

गोपाल चले आओ ॥


तेरे दर्शन को मोहन,

मेरे नैन तरसते है,

तेरे दर्शन को मोहन,

मेरे नैन तरसते है,

तेरे दर्शन को मोहन,

मेरे नैन तरसते है,

तेरे दर्शन को मोहन,

मेरे नैन तरसते है,

गोविंद चले आओ,

गोपाल चले आओ ॥


गोविंद चले आओ,

गोपाल चले आओ,

गोविंद चले आओ,

गोपाल चले आओ,

मेरे मुरलीधर माधव,

मेरे मुरलीधर माधव,

नंदलाल चले आओ,

गोविंद चले आओ,

गोपाल चले आओ,

गोविंद चले आओ,

गोपाल चले आओ ॥

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क्या महिलाएं भी नागा साधु बन सकती हैं

महाकुंभ की शुरुआत अगले महीने से होने जा रही है। साधु-संत के अखाड़े प्रयागराज पहुंच चुके हैं। पहला शाही स्नान 13 जनवरी को होने वाला है। अब जब शाही स्नान की बात आ ही गई हैं, तो आपके दिमाग में नागा साधुओं का नाम जरूर आया होगा। भगवान शिव के उपासक और शैव संप्रदाय के ताल्लुक रखने वाले नागा साधु शाही स्नान के कारण चर्चा में रहते हैं।

कौन बन सकता है नागा साधु ?

जनवरी 2025 से कुंभ मेले की शुरुआत संगम नगरी प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान वहां ऐसे शानदार नजारे देखने को मिलेंगे, जो आम लोग अपनी जिंदगी में बहुत कम ही देखते हैं। अब जब कुंभ की बात हो रही है, तो नागा साधुओं की बात जरूर होगी ही। यह मेले का मुख्य आकर्षण होते है, जो सिर्फ कुंभ मेले के दौरान ही दिखाई देते है।

नागा साधुओं का रहस्यमी इतिहास

हिंदुओं के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम महाकुंभ की शुरुआत में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। पहला शाही 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर होने वाला है। इसमें सबसे पहले नागा साधु स्नान करेंगे।

रहस्यमयी जिंदगी जीते हैं नागा साधु

नागा साधु को महाकुंभ का आकर्षण माना जाता है, जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इनका शाही स्नान में महत्व बहुत अधिक है। क्योंकि इन्हें आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

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