गुरु बिन घोर अँधेरा संतो,
गुरु बिन घोर अँधेरा जी ।
बिना दीपक मंदरियो सुनो,
अब नहीं वास्तु का वेरा हो जी ॥
जब तक कन्या रेवे कवारी,
नहीं पुरुष का वेरा जी ।
आठो पोहर आलस में खेले,
अब खेले खेल घनेरा हो जी ॥
मिर्गे री नाभि बसे किस्तूरी,
नहीं मिर्गे को वेरा जी ।
रनी वनी में फिरे भटकतो,
अब सूंघे घास घणेरा हो जी ॥
जब तक आग रेवे पत्थर में,
नहीं पत्थर को वेरा जी ।
चकमक छोटा लागे शबद री,
अब फेके आग चोपेरा हो जी ॥
रामानंद मिलिया गुरु पूरा,
दिया शबद तत्सारा जी ।
कहत कबीर सुनो भाई संतो,
अब मिट गया भरम अँधेरा हो जी ॥
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। इस तिथि पर आश्लेषा नक्षत्र और अतिगण्ड योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा कर्क राशि में हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस तिथि पर मघा नक्षत्र और सुकर्मा योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा सिंह राशि में हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
होली तिथि 2025: होली खुशियों, उल्लास, रंगों और उत्साह का त्योहार है जिसका हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है। लोग अपने सारे गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे पर रंग और गुलाल लगाकर प्यार के रंग में सराबोर हो जाते हैं। होली का त्योहार पूरे देश में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस तिथि पर पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र और धृति योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा सिंह राशि में हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।