गुरु मेरी पूजा, गुरु गोबिंद, गुरु मेरा पारब्रह्म (Guru Meri Puja Guru Mera Parbrahma)

गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद

गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत


गुरु मेरा देव अलख अभेव

सरब पूज्य, चरण गुरु सेवू

॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥


गुरु बिन अवर नहीं मैं थाओ

अन दिन जपो, गुर गुर नाओ

॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥


गुरु मेरा ग्यान, गुरु रिदे धयान

गुरु गोपाल पुरख भगवान्

॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥


गुरु की सरन रहूँ कर जोर

गुरु बिना मैं नाही होर

॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥


गुरु बोहित तारे भव पार

गुरु सेवा ते यम छुटकार

॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥


अन्धकार में गुरु मन्त्र उजारा

गुरु कै संग सगल निस्तारा

॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥


गुरु पूरा पाईये वडभागी

गुरु की सेवा दुःख ना लागी

॥ गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद...॥


गुरु का सबद ना मेटे कोई

गुरु नानक नानक हर सोए


गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद

गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत

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जपते रहो सुबह शाम भोलेनाथ (Japte Raho Subah Shaam Bholenath)

जपते रहो सुबह शाम भोलेनाथ,
जग में साँचा तेरा नाम भोलेनाथ,

सन्तोषी माता/शुक्रवार की ब्रत कथा (Santhoshi Mata / Sukravaar Ki Vrat Katha

एक नगरमें एक बुढ़ियाके सात पुत्र थे, सातौके विवाह होगए, सुन्दर स्त्री घर में सम्पन्न थीं। बड़े बः पुत्र धंधा करते थे बोटा निठल्ला कुछ नहीं करता था और इस ध्यान में मग्न रहता था कि में बिना किए का खाता हूं।

आईं महादेवी अवतार, भवानी मोरे अंगना में (Aayi Mahadevi Avtar, Bhawani More Angna Main)

आयी महादेवी अवतार,
भवानी मोरे अंगना में ॥

गंगा से गंगाजल भरक (Ganga Se Gangajal Bharke)

गंगा से गंगाजल भरके,
काँधे शिव की कावड़ धरके,

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